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US: छठे दिन में प्रवेश कर गई भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की वार्ता, बढ़ाई गई अधिकारियों के प्रवास की अवधि

US: भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित व्यापार समझौते को लेकर वॉशिंगटन में छठे दिन भी बातचीत जारी है। भारत अपने श्रम-प्रधान उत्पादों के लिए टैरिफ में छूट की मांग कर रहा है। अगर समझौता विफल होता तो भारतीय वस्तुओं पर 26% अतिरिक्त टैरिफ दोबारा लागू हो सकता है। अमेरिका कृषि और डेयरी उत्पादों पर छूट चाहता है, जो भारत के लिए संवेदनशील क्षेत्र हैं।

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर बातचीत वॉशिंगटन में मंगलवार को छठे दिन में प्रवेश कर गई है। एक अधिकारी ने बताया कि बातचीत अहम मोड़ पर पहुंच चुकी है और भारत अपने श्रम-प्रधान उत्पादों को अमेरिकी बाजार में अधिक पहुंच दिलाने की मांग कर रहा है। भारत की टीम का नेतृत्व वाणिज्य विभाग के विशेष सचिव राजेश अग्रवाल कर रहे हैं। यह टीम अमेरिका के साथ एक अंतरिम व्यापार समझौते पर वार्ता के लिए वॉशिंगटन में मौजूद है।

अधिकारियों के प्रवास की अवधि बढ़ी
अधिकारियों के अमेरिका प्रवास की अवधि बढ़ा दी गई है। पहले यह प्रतिनिधिमंडल केवल दो दिनों के लिए वहां ठहरने वाला था और वार्ता 26 जून से शुरू हुई थी। यह वार्ता इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के समय लगाए गए पारस्परिक शुल्क (टैरिफ) की निलंबन अवधि 9 जुलाई को समाप्त हो रही है। दोनों देश इस तारीख से पहले वार्ता को अंतिम रूप देने की कोशिश कर रहे हैं।
प्रस्तावित व्यापार समझौता विफल हुआ तो लगेगा 26 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ
अधिकारी ने कहा, भारत ने अमेरिकी कृषि उत्पादों पर टैरिफ में छूट देने के मामले में अपना रुख सख्त कर लिया है। भारत चाहता है कि उसके श्रम-प्रधान उत्पादों जैसे वस्त्र, इंजीनियरिंग सामान, चमड़ा, रत्न और आभूषण को अमेरिका में टैरिफ में छूट मिले। उन्होंने कहा कि अगर प्रस्तावित व्यापार समझौता विफल होता है, तो 26 फीसदी का अतिरिक्त शुल्क दोबारा लागू हो जाएगा। दो अप्रैल को अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर 26 फीसदी का अतिरिक्त टैरिफ लगाया था, लेकिन इसे 90 दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया था। हालांकि, अमेरिका का 10 फीसदी मूल टैरिफ अब भी लागू है। भारत इस अतिरिक्त 26 फीसदी टैरिफ से पूरी छूट चाहता है।

भारत ने किसी भी देश के लिए नहीं खोला डेयरी क्षेत्र
अमेरिका कृषि और डेयरी क्षेत्रों में भी टैरिफ छूट की मांग कर रहा है। लेकिन ये क्षेत्र भारत के लिए संवेदनशील माने जाते हैं, क्योंकि यहां के किसान छोटे भूखंडों पर जीविका के लिए खेती करते हैं। इसी कारण ये क्षेत्र राजनीतिक रूप से भी बेहद संवेदनशील हैं। अब तक भारत ने किसी भी व्यापार समझौते में अपने डेयरी क्षेत्र को किसी देश के लिए नहीं खोला है।

इन उत्पादों पर टैरिफ छूट चाहते हैं दोनों देश
अमेरिका कुछ औद्योगिक वस्तुओं, ऑटोमोबाइल (खासकर इलेक्ट्रिक वाहनों), शराब, पेट्रोकेमिकल उत्पादों, डेयरी और कृषि उत्पादों जैसे सेब, सूखे मेवे और आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों पर टैरिफ छूट चाहता है। वहीं, भारत अपने श्रम-प्रधान उत्पादों जैसे वस्त्र, रत्न और आभूषण, चमड़े के सामान, तैयार कपड़े, प्लास्टिक, रसायन, झींगा, तिलहन, अंगूर और केले के लिए टैरिफ में राहत चाहता है।

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