मुख्यमंत्री ने असीता घाट से यमुना छठ घाट, डीएम ईस्ट कार्यालय, 12 नंबर रेगुलेटर और केंद्रीय कंट्रोल रूम का दौरा किया। सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग मंत्री प्रवेश साहिब सिंह भी उनके साथ मौजूद रहे। मुख्यमंत्री ने कहा कि हथिनीकुंड बैराज से छोड़े गए पानी की मात्रा और पहाड़ी क्षेत्र में भारी वर्षा को देखते हुए केंद्रीय जल आयोग की एडवाइजरी के तहत दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर 206 मीटर तक पहुंचने की संभावना है। नदी के बाढ़ क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को प्रशासन ने पहले ही सचेत कर दिया है। उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए जरूरी इंतजाम कर दिए गए हैं।
राहत बचाव के लिए प्रशासन मुस्तैद
मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्लीवासियों को चिंता करने की जरूरत नहीं है, उनकी सुरक्षा पहली प्राथमिकता है। इसके लिए राहत और बचाव कार्यों के लिए 14 अहम जगहों पर नावों की तैनाती की गई है। साथ ही यमुना का पानी मुख्य सड़कों तक न पहुंचे और ट्रैफिक प्रभावित न हो, इसके लिए सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग को सभी जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए गए है। साथ ही सभी रेगुलेटर्स को पूरी तरह चालू रखने के निर्देश दिए गए हैं। 15 वायरलेस स्टेशन स्थापित हैं जो यमुना के जलस्तर, जलभराव की निगरानी कर रहे हैं।
पानी तेज गति से दिल्ली से बाहर निकल रहा
मुख्यमंत्री ने बताया कि यमुना में इस समय एक लाख से अधिक क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है, लेकिन वह बिना अवरोध व उतनी ही गति से आगे भी बढ़ रहा है। पहले ऐसा नहीं होता था, जिसके कारण जलभराव की स्थिति बनती थी।
आईटीओ बैराज के सभी गेट खोले गए
रेखा गुप्ता ने कहा कि अगस्त-सितंबर 2023 में दिल्ली ने बाढ़ का सामना किया, जब यमुना का जलस्तर 208.6 मीटर तक पहुंच गया था। कई रिहायशी इलाके जलमग्न हो गए, जिससे जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ था। तब नालों की डी-सिल्टिंग और बैराजों की व्यवस्थाएं ठीक नहीं थीं, यहां तक कि आईटीओ बैराज के गेट भी बंद और जाम पड़े थे। इस बार पिछले छह महीनों से लगातार काम करके आईटीओ बैराज के सभी गेट पूरी तरह से खोल दिए गए हैं और नालों की डी-सिल्टिंग पूरी होने से उनकी क्षमता भी बढ़ गई है। सरकार ने हर स्तर पर पूरी तैयारी कर रखी है।
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