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Delhi Zoo: पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा का ‘शंकर’ नहीं रहा… दो दिनों से भूखा था, पीएम की तैयारी

यह वही शंकर है, जिसकी जंजीरों में बंधी हालत ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा था।

राष्ट्रीय प्राणी उद्यान (चिड़ियाघर) में बुधवार रात एक दुखद घटना घटी, जब 29 वर्षीय अफ्रीकी हाथी शंकर की अचानक मौत हो गई। यह वही शंकर है, जिसकी जंजीरों में बंधी हालत ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा था। जंजीरों के कारण उसके पैरों में गहरी चोटें आ गई थीं, जिसके बाद चिड़ियाघर और एक्वेरियम के वैश्विक संगठन वाजा (वाजा) ने अक्तूबर 2024 में दिल्ली चिड़ियाघर की सदस्यता छह महीने के लिए निलंबित कर दी थी।

वाजा ने केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण को पत्र लिखकर शंकर की स्थिति पर स्पष्टीकरण मांगा था, जिसमें जंजीर बांधने को अनैतिक करार दिया गया। शंकर की मौत के सटीक कारणों का अभी खुलासा नहीं हुआ है, लेकिन सूत्र बताते हैं कि वह दो दिनों से भोजन त्याग चुका था, जो उसकी बिगड़ती तबीयत का स्पष्ट संकेत था। चिड़ियाघर निदेशक डॉ. संजीत कुमार ने बताया कि शंकर की 17 सितंबर की रात 8 बजे मृत्यु हो गई। बुधवार सुबह उसने कम पत्ते और घास खाए थे और उसे हल्के दस्त भी हुए थे। लेकिन वह सामान्य रूप से आहार, फल और सब्जियां ले रहा था। ऐसे में उसे चिड़ियाघर की पशु चिकित्सा टीम द्वारा उपचार दिया गया और पशुपालन कर्मचारियों की निगरानी में रखा गया, लेकिन लगभग 7.25 बजे वह अचानक अपने शेड में गिर गया और आपातकालीन उपचार के दौरान उसकी मृत्यु हो गई।
आईवीआरआई बरेली की टीम करेगी पोस्टमार्टम
उन्होंने बताया कि 16 सितंबर तक बीमारी या असामान्य व्यवहार की कोई रिपोर्ट नहीं थी। मृत्यु के कारण का पता लगाने के लिए जांच के आदेश दिए गए हैं। आगे की जांच के लिए आईवीआरआई बरेली के विशेषज्ञों की टीम, स्वास्थ्य सलाहकार समिति और मंत्रालय के प्रतिनिधि की ओर से पोस्टमार्टम किया जा रहा है। पोस्टमार्टम और आवश्यक नमूने लेने के बाद उचित प्रक्रिया के बाद शव का निपटान किया जाएगा।

27 साल से चिड़ियाघर का अभिन्न हिस्सा था
कुमार ने दुख जताते हुए बताया कि शंकर 27 वर्षों से चिड़ियाघर परिवार का एक बहुमूल्य व अभिन्न हिस्सा था। आगंतुकों की ओर से उसकी प्रशंसा की जाती थी और उसके सौम्य स्वभाव और राजसी उपस्थिति के कारण स्टाफ द्वारा उसका आदर किया जाता था।

देश का दूसरा नर अफ्रीकी हाथी था
13 नंबर बाड़े में रहने वाले शंकर को कथित तौर पर प्रशासन की गंभीर लापरवाही का खामियाजा भुगतना पड़ा। मैसूर चिड़ियाघर के बाद दिल्ली में ही भारत का दूसरा नर अफ्रीकी हाथी था शंकर। अब देश में मात्र एक ही अफ्रीकी हाथी बची है। जानकारों का कहना है कि लगातार अकेलापन और अपर्याप्त देखभाल ने उसके स्वास्थ्य को चुपचाप खोखला कर दिया। शंकर की मौत ने न केवल पशु संरक्षण के मुद्दे को फिर से उजागर किया है, बल्कि चिड़ियाघरों में जानवरों की नैतिक स्थिति पर सवाल भी खड़े कर दिए हैं।

केंद्रीय मंत्री के हस्तक्षेप से मिली राहत
केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह के सक्रिय प्रयासों से शंकर को जंजीरों से आजाद कराया गया था। इसके साथ ही उसके लिए एक विशेष पशु चिकित्सक की नियुक्ति की गई, जो चिड़ियाघर परिसर में ही तैनात रहकर उसकी निगरानी करता था। मंत्री के इस कदम से शंकर को कुछ राहत मिली थी, लेकिन लंबे समय की उपेक्षा को उबारना मुश्किल साबित हुआ।

जिम्बाब्वे का ऐतिहासिक तोहफा: शंकर की कहानी
शंकर की उत्पत्ति जिम्बाब्वे से जुड़ी है। नवंबर 1998 में जिम्बाब्वे सरकार ने तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा को इसे उपहार में दिया था, जिसके सम्मान में इसका नाम ‘शंकर’ पड़ा। साथ में लाई गई मादा हाथी बंबई की 2001 में मौत के बाद शंकर अकेला पड़ गया। इस अकेलेपन ने उसके स्वभाव को आक्रामक बना दिया। महावतों पर कई बार हमले की घटनाएं दर्ज की गईं।

दिल्ली हाईकोर्ट का साथी मुहैया कराने का आदेश
दिल्ली हाईकोर्ट ने जुलाई 2022 में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया था। अदालत ने शंकर के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य सुधार के लिए उसे एक मादा साथी प्रदान करने का निर्देश दिया था। चिड़ियाघर प्रबंधन ने दक्षिण अफ्रीका से उपयुक्त साथी लाने की योजना बनाई, लेकिन विभिन्न कारणों से यह अमल में नहीं आ सकी। इस असफलता ने शंकर के जीवन को और दुखमय बना दिया।

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