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डॉलर के मुकाबले क्यों कमजोर हो रहा रुपया?: सीतारमण ने बताया सरकार का रुख, ट्रंप की नीतियों पर फोड़ा ठीकरा

रुपया वर्तमान ने अपने अब तक के रिकॉर्ड निचले स्तर पर है। शुक्रवार को रुपया अब तक के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद होकर 88.27 प्रति डॉलर पर आ गया था। दिन में कारोबार के दौरान यह 88.38 तक फिसला था।

अमेरिका से टैरिफ पर तनाव के बीच डॉलर लगातार मजबूती के नए आयाम गढ़ रहा है। आलम यह है कि मौजूदा समय में डॉलर इतना ताकतवर हो चुका है कि दुनिया की हर बड़ी मुद्रा के मुकाबले इसका एक्सचेंज रेट यानी इसकी ‘खरीद की दर’ तेजी से बढ़ी है। रुपया भी इससे अछूता नहीं है। वहीं, रुपये की लगातार गिरावट को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा है कि सरकार रुपये की स्थिति पर लगातार और पैनी निगाह जमाए हुए है। समाचार एजेंसी पीटीआई के साथ एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि डॉलर के मुकाबले न सिर्फ रुपया, बल्कि दुनिया की कई मुद्राएं कमजोर हुई हैं। इस दौरान उन्होंने हाल में किए गए जीएसटी सुधारों का भी जिक्र किया। वित्त मंत्री ने कहा कि इन सुधारों से आम आदमी को बड़ी राहत मिली है।

रुपये के वर्तमान हालात क्या?
रुपया वर्तमान ने अपने अब तक के रिकॉर्ड निचले स्तर पर है। शुक्रवार को रुपया अब तक के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद होकर 88.27 प्रति डॉलर पर आ गया था। दिन में कारोबार के दौरान यह 88.38 तक फिसला था। हालांकि, रिज़र्व बैंक ने सरकारी बैंकों के जरिए दखल देकर और बड़ी गिरावट को रोकने की कोशिश की।

रुपये में गिरावट का क्या है कारण?
रुपये में लगातार हो रही गिरावट का बड़ा कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों को बताया जा रहा है। इनमें भारत पर लगाए गए भारी टैरिफ प्रमुख हैं।

अमेरिकी टैरिफ का है दबाव
27 अगस्त से अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर 50% तक टैरिफ लगा दिया है। इसमें 25% अतिरिक्त जुर्माना रूस से कच्चा तेल खरीदने के कारण लगाया गया है। ट्रंप के इस फैसले से भारत के कपड़ा, हीरे-जवाहरात, झींगा, चमड़ा, रसायन, और मशीनरी आदि सेक्टर गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं। हालांकि, दवाओं, ऊर्जा उत्पादों और इलेक्ट्रॉनिक्स को छूट दी गई है।

भारत है सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार
अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। 2024-25 में भारत-अमेरिका के बीच 131.8 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ। इसमें भारत का निर्यात 86.5 अरब डॉलर और आयात 45.3 अरब डॉलर रहा। भारत-अमेरिका के व्यापारिक रिश्तों को वित्त मंत्री ने जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि यह रिश्ता भारत की अर्थव्यवस्था के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, लेकिन अनुचित शुल्कों का भारत जवाब देगा।

जीएसटी सुधारों को बताया आम जनता को सीधी राहत
साक्षात्कार में वित्त मंत्री ने जीएसटी में आठ साल बाद किए गए व्यापक सुधारों को ‘जनता के लिए सुधार’ करार दिया। उन्होंने कहा कि जीएसटी दरों में कमी से हर परिवार को फायदा होगा, खपत बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। आगे सीतारमण ने कहा कि वह खुद व्यक्तिगत रूप से यह सुनिश्चित करेंगी कि कम हुई इन दरों कका लाभ उपभोक्ताओं तक कीमतों में कमी के रूप में पहुंचे। उन्होंने बताया कि कई कंपनियों ने 22 सितंबर से पहले ही कारों, जूतों, बीमा पॉलिसियों और कपड़ों पर कीमतें घटाने की घोषणा कर दी हैं।

कई कंपनियां कर चुकी हैं कटौती की घोषणा- सीतारमण
सीतारमण ने कहा कि सरकार के निर्णय के कुछ ही दिनों के भीतर कार निर्माताओं से लेकर सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों और जूता एवं परिधान ब्रांडों ने कीमतों में महत्वपूर्ण कटौती की घोषणा कर दी है। नई जीएसटी दरें लागू होने तक बाकी कंपनियों से भी ऐसा ही करने की संभावना है।

आम जन को ध्यान में रखकर हुआ सुधार
सीतारमण ने इन सुधारों को 2017 के बाद अब तक का सबसे बड़ा कर सुधार करार दिया। उन्होंने कहा यह ऐसा सुधार है जो 140 करोड़ लोगों के जीवन को प्रभावित करेगा। गरीब से गरीब व्यक्ति भी जो कुछ खरीदता है, उस पर जीएसटी का असर होता है। इस बार हमने रोजमर्रा की जरूरी चीजों पर टैक्स में बड़ी कटौती की है ताकि आम आदमी को राहत मिले।

आम आदमी की हर जरूरत को ध्यान में रखकर इसे अंजाम दिया गया है। दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर लगने वाले हर कर की कड़ी समीक्षा की गई है और ज्यादातर मामलों में दरों में भारी कमी आई है।

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