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NBT: एनबीटी अब ला रहा निष्पक्ष और तथ्याधारित किताबें, युवाओं को ‘नो-नॉनसेंस’ सामग्री देने पर फोकस

National Book Trust: नेशनल बुक ट्रस्ट अब ऐसी किताबें तैयार कर रहा है जो न तो किसी व्यक्ति विशेष की विचारधारा से प्रभावित होंगी। संस्था का लक्ष्य है कि किताबें न सिर्फ युवाओं को व्यक्तिगत विकास की ओर प्रेरित करें बल्कि राष्ट्र निर्माण में भी योगदान दें।

National Book Trust: नेशनल बुक ट्रस्ट (NBT) अब ऐसी किताबें तैयार कर रहा है जो न तो किसी व्यक्ति विशेष की विचारधारा से प्रभावित होंगी और न ही राजनीतिक झुकाव दिखाएंगी। एनबीटी के चेयरमैन प्रो. मिलिंद सुधाकर मराठे ने कहा कि संस्था का मकसद है तथ्य आधारित और निष्पक्ष किताबें प्रकाशित करना ताकि पाठकों, खासकर युवाओं, को भरोसेमंद सामग्री उपलब्ध हो।

उन्होंने कहा कि आजकल सूचनाओं के नाम पर बहुत भ्रम फैल रहा है। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि भारत में डिजिटल क्रांति हुई है, लेकिन इस पर कोई प्रामाणिक किताब नहीं मिलती। राजनीतिक दल या तो इसे बढ़ा-चढ़ाकर बताते हैं या फिर कमतर दिखाते हैं।

आईआईटी-आईआईएम को दी जिम्मेदारी

इस समस्या के समाधान के लिए एनबीटी ने आईआईटी कानपुर को यह जिम्मेदारी दी है कि वह पिछले दशक की डिजिटल क्रांति का निष्पक्ष विश्लेषण करे। इसी तरह, सुशासन के प्रभाव पर किताब लिखने का काम आईआईएम मुंबई को सौंपा गया है।

मराठे का कहना है कि युवाओं की सोच साफ और सीधेपन वाली है। वे न तो अतिशयोक्ति चाहते हैं और न ही किसी चीज़ का अपमानजनक चित्रण। वे केवल तथ्य चाहते हैं ताकि अपनी राय खुद बना सकें। इसी दृष्टिकोण से एनबीटी कुछ खास किताबों का प्रकाशन कर रहा है।

एनबीटी का विजन और प्रकाशन नीति

एनबीटी का नारा अब भी गुणवत्ता और किफायत है। संस्था का लक्ष्य है कि किताबें न सिर्फ युवाओं को व्यक्तिगत विकास की ओर प्रेरित करें बल्कि राष्ट्र निर्माण में भी योगदान दें। मराठे के अनुसार, “किताबें व्यक्तिगत विकास से राष्ट्रीय विकास तक की कड़ी हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि एनबीटी भारतीयता से जुड़ी रचनाओं को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है, क्योंकि औपनिवेशिक दौर में इस सांस्कृतिक जुड़ाव को नुकसान पहुंचा था।

गोमती बुक फेस्टिवल और एनबीटी का मॉडल

लखनऊ में आयोजित चौथे गोमती बुक फेस्टिवल को मराठे ने “प्रगतिशील विस्तार” बताया। अब यह केवल किताबों तक सीमित नहीं रहा बल्कि इसमें कला, संगीत, नृत्य और संस्कृति का भी समावेश है। हज़ारों छात्र और शिक्षक इसमें शामिल हो रहे हैं।

जब इसकी तुलना जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (JLF) से की गई तो उन्होंने कहा कि एनबीटी के फेस्टिवल्स का मॉडल अलग है। यह भव्य आयोजन पर नहीं बल्कि विभिन्न शहरों में ‘वितरित मॉडल’ पर ध्यान देता है। वहीं, affordability और quality इसकी विशेषता है, जिसे दिल्ली, पुणे, नागपुर और कोलकाता के बुक फेयर्स में देखा जा सकता है।

अंतरराष्ट्रीय पहचान और अनुवाद की चुनौतियां

एनबीटी अब वैश्विक मंचों पर भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है। फ्रैंकफर्ट से लेकर मॉस्को तक, वह कई अंतरराष्ट्रीय बुक फेयर्स में भाग ले रहा है। हाल ही में मॉस्को इंटरनेशनल बुक फेयर में भारत को अतिथि देश के रूप में आमंत्रित किया गया था। एनबीटी ने वहां भारत पवेलियन के बैनर तले भाग लिया। संस्थान बच्चों के साहित्य पर केंद्रित इटली के बोलोनिया फेस्टिवल में भी नियमित रूप से हिस्सा लेता है।

हालांकि, अनुवाद अब भी सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है। मराठे ने कहा कि किसी क्षेत्रीय भाषा से दूसरी क्षेत्रीय भाषा में सीधे अनुवाद करने वाले योग्य लोग बहुत कम हैं। ज्यादातर किताबें पहले हिंदी या अंग्रेज़ी में अनुवाद होती हैं, फिर अन्य भाषाओं में। इससे मूल साहित्य की आत्मा कहीं-कहीं कमजोर हो जाती है।

फिलहाल एनबीटी के पास 17 संपादक अनुवादकों की टीम है। अंतरराष्ट्रीय भाषाओं जैसे जर्मन, इटैलियन और रूसी में अनुवाद के लिए भारतीय प्रवासी समुदाय और दूतावास मदद करते हैं।

हाल ही में एनबीटी ने कश्मीर घाटी में आयोजित चिनार बुक फेस्टिवल के दौरान 30 किताबों का अनुवाद गोजरी भाषा में किया। मराठे ने कहा, “हम कोशिश कर रहे हैं कि पाठकों तक उनकी अपनी भाषाओं में सामग्री पहुंचे, चाहे वे संविधान की 22 अनुसूचित भाषाओं से बाहर ही क्यों न हों।”

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