अभिनेता मनोज बाजपेयी की दो हफ्तों में दो फिल्में रिलीज हुई हैं। एक ओर ‘इंस्पेक्टर जेंडे’ ओटीटी पर रिलीज हुई है। वहीं दूसरी ओर ‘जुगनुमा- द फेबेल’ ने सिनेमाघरों में दस्तक दी है। दोनों ही फिल्मों को क्रिटिक्स ने काफी सराहा भी है। अब मनोज बाजपेयी ने शाहरुख खान को नेशनल अवॉर्ड मिलने पर प्रतिक्रिया दी है। क्योंकि रेस में मनोज बाजपेयी भी ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ के लिए थे।
मनोज बाजपेयी बोले- ये बेकार की बात है
शाहरुख खान के ‘जवान’ फिल्म के लिए नेशनल अवॉर्ड जीतने पर छिड़ी बहस में कई लोगों का कहना था कि शाहरुख की जगह मनोज बाजपेयी ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ के लिए नेशनल अवॉर्ड के हकदार थे। अब इस तरह की तुलनाओं पर मनोज बाजपेयी ने चुप्पी तोड़ी है। इंडिया टुडे के साथ बातचीत के दौरान मनोज बाजपेयी ने इस पूरे मुद्दे पर कहा कि यह एक बेकार बातचीत है क्योंकि यह अब खत्म हो चुकी है। जहां तक ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ की बात है, तो हां यह मेरी फिल्मोग्राफी में एक बहुत ही खास फिल्म है और ‘जोरम’ भी। लेकिन मैं इन बातों पर चर्चा नहीं करता क्योंकि यह एक बहुत ही बेकार बातचीत है। यह अतीत की बात है और इसे यूं ही छोड़ देना चाहिए।
अपनी विश्वसनीयता खो रहे अवॉर्ड फंक्शन
अभिनेता ने भारत में फिल्म पुरस्कारों के बदलते स्वरूप पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय पुरस्कारों समेत कई पुरस्कार व्यावसायिक आकर्षण के चक्कर में अपनी विश्वसनीयता खो रहे हैं। उन्हें गंभीरता से सोचना चाहिए कि वे कैसे काम कर रहे हैं। क्योंकि यह मेरे सम्मान की बात नहीं है। मैं फिल्म चुनते समय अपने सम्मान का बहुत ध्यान रखता हूं। लेकिन हर संस्था को अपने बारे में सोचना होता है। यह मेरा काम नहीं है। मुझे लगता है कि मेरे लिए अवॉर्ड फंक्शन का विचार गलत है। यह आपके घर की सजावट का एक छोटा सा हिस्सा है। हर रोज आप इसके सामने खड़े होकर यह नहीं कहेंगे, ‘वाह, मैंने यह कर दिखाया।’
चार नेशनल अवॉर्ड जीत चुके हैं मनोज बाजपेयी
इस साल शाहरुख खान को उनकी फिल्म ‘जवान’ के लिए उनके करियर का पहला नेशनल अवॉर्ड मिला है। वहीं मनोज बाजपेयी अब तक चार बार राष्ट्रीय अवॉर्ड अपने खाते में कर चुके हैं। मनोज बाजपेयी को ‘सत्या’, ‘पिंजर’, ‘अलीगढ़’ और ‘भोंसले’ के लिए नेशनल अवॉर्ड मिल चुका है।
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