आयुष्मान योजना में इलाज से पहले जांच का खर्च मरीज की जेब पर भारी पड़ रहा है। इस योजना में शामिल होने से पहले मरीज को बीमारी की पहचान करना जरूरी है। पहचान होने के बाद निजी अस्पताल को आयुष्मान के पोर्टल पर आवेदन करना होगा, यदि उक्त बीमारी योजना में कवर होगी तो मरीज को अस्पताल में इलाज की सुविधा मिल पाएगी।
अस्पताल कर रहे मना
दिल्ली गेट स्थित संजीवनी अस्पताल में इलाज करवाने आए एक मरीज ने बताया कि आयुष्मान कार्ड को देखकर निजी अस्पताल मना कर देते हैं। कई अस्पतालों में जाने के बाद यहां इलाज का मौका मिला। उनका कहना है कि रोग की पहचान के लिए पहले काफी पैसे खर्च करने पड़े। उसके बाद ही सर्जरी की सुविधा मिल पाई। उन्होंने कहा कि भर्ती होने के बाद किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती।
एक साल से नहीं मिला पैसा
दिल्ली के एक निजी अस्पताल का कहना है कि दूसरे राज्यों का अनुभव है कि जिन अस्पतालों ने योजना के तहत इलाज किया, उन्हें एक साल से इलाज का भुगतान नहीं हुआ। अस्पतालों का कहना है कि इस योजना के तहत निजी अस्पतालों को काफी कम भुगतान होता है। इस पर विचार किया जाना चाहिए। निजी अस्पतालों का दावा है कि मौजूदा समय में दिल्ली के कुछ अस्पताल ही इस योजना के तहत सुविधा दे रहे हैं। इनमें कुछ आंखों के अस्पताल, जबकि कुछ डायलिसिस सेंटर व अन्य हैं।
सरकार का दावा
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के मुताबिक, दिल्ली के 83 अस्पतालों में योजना का लाभ मिल रहा है। इसमें 59 निजी और 24 सरकारी अस्पताल हैं। इसके अलावा देशभर के पंजीकृत अस्पतालों में भी मरीज इलाज करवा सकता है। दिल्ली में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत 3,30,369 लाभार्थियों का, जबकि वय वंदना योजना के तहत 1,54,116 वरिष्ठ नागरिकों का पंजीकरण किया गया है। योजना के तहत दिल्ली में अभी तक 729 लोग लाभ उठा चुके हैं।
योजना को प्रभावी बनाने के लिए बिस्तर बढ़ाने की जरूरत
नेशनल मेडिकल फोरम और दिल्ली अस्पताल फोरम के अध्यक्ष डॉ प्रेम अग्रवाल का कहना है कि सरकारी तंत्र ने नियमों का बंधन लगाकर दिल्ली के निजी अस्पतालों से आठ हजार बिस्तर घटा दिए हैं, जबकि योजना को प्रभावी बनाने के लिए बिस्तर बढ़ाने की जरूरत है। दिल्ली की जनसंख्या को देखते हुए निजी और सरकारी अस्पतालों में एक लाख बिस्तरों की जरूरत है।
No Comments: