बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत करना चाहते थे। उन्होंने पीएम मोदी को फोन करने की कोशिश भी की थी। ये दावा पाकिस्तान में भारत के पूर्व हाई कमीश्नर अजय बिसारिया ने अपनी किताब में किया है। जानकारी के लिए बता दें कि पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकी हमले के बाद भारत ने बालाकोट में एयर स्ट्राइक की थी, जिसमें कई आतंकी मारे गए थे। इसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गए थे।
दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर उस वक्त पहुंच गया था जब पाकिस्तान ने भारतीय वायुसेना के पायलट अभिनंदन वर्धमान को पकड़ लिया था। हालांकि बाद में उसे झुकना पड़ा और अभिनंदन को रिहा करना पड़ा था, लेकिन पाकिस्तान ने अभिनंदन को ऐसे ही नहीं रिहा किया। उसे हमले का डर था, क्योंकि भारत ने 9 मिसाइलों का मुंह पाकिस्तान की ओर मोड़ दिया था।
अजय बिसारिया ने कहा, मैंने पायलट को वापस लाने के लिए अपनाई गई कूटनीति का लेखा-जोखा पेश करने की कोशिश की है। 9 मिसाइलों के इस्तेमाल का बहुत खतरा था। तनाव को और ना बढ़ाते हुए पाकिस्तान ने पायलट को वापस करने का विकल्प चुना।
उन्होंने कहा कि तनाव कम करने की कोशिश में, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने भारत के प्रधानमंत्री को फोन करने का प्रयास किया। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को निर्णय लेने के लिए बाध्य महसूस किया गया। अजय बिसारिया ने कहा कि पुलवामा हमले के तुरंत बाद मैं भारत आया और मैं उस टीम का हिस्सा था जो स्थिति की निगरानी कर रही थी और उससे निपट रही थी। उस समय पाकिस्तान को यह संदेश बिल्कुल स्पष्ट था कि यदि पायलट वापस नहीं लौटाया गया तो भारत स्थिति को और बिगाड़ने वाला है।
अधिकारी ने कहा कि हमने पाकिस्तान से जो कुछ भी सुना और हमारी जो भी बातचीत हुई उससे हमें विश्वास था कि पायलट को वापस कर दिया जाएगा क्योंकि परिणाम गंभीर होंगे और यह एक संदेश था जो पाकिस्तान के सिस्टम में स्पष्ट रूप से गया और पाकिस्तान ने तब प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि मैंने पाया कि भारत-पाकिस्तान रिश्ते में गुस्सा का बड़ा रोल है। आप इस मुद्दे को शांतिपूर्वक और स्थायी रूप से हल नहीं कर सकते हैं, लेकिन आप इसे कूटनीति, अन्य माध्यमों और विभिन्न तरीकों से मैनेज कर सकते हैं।
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