डॉ. रामेश्वर दयाल
आम आदमी पार्टी के संयोजक व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुसीबतें बढ़ती दिख रही हैं। चुनाव प्रचार के बाद वह एक बार फिर से तिहाड़ जेल पहुंच गए हें, तो लोकसभा चुनाव में आप और कांग्रेस गठबंधन की बुरी तरह से हार हो चुकी है। दिल्ली में करोड़ों रुपये के शराब घोटाले के आरोपी मुख्यमंत्री और उनकी सरकार के सामने अब अस्तित्व का संकट खड़ा नजर आ रहा है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या दिल्ली सरकार बच पाएगी या सीएम जेल से ही सरकार चलाने का कोई तोड़ तलाश लेंगे। वैसे पिछले कुछ दिनों से आम आदमी पार्टी के साथ जो ‘दुर्घटनाएं’ हुई हैं, उससे पार्टी की साख को धक्का तो लगा ही है।
पहले लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की हार-जीत की बात करें। लोकसभा चुनाव के प्रचार को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जेल में बंद सीएम केजरीवाल को ‘स्पेशल ट्रीटमेंट’ देते हुए प्रचार के लिए कुछ दिनों से बाहर निकलने की इजाजत दे दी। चुनाव में आप ने दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, गुजरात व असम में 22 लोकसभा सीटों पर चुनाव जीता। इनमें से उसे तीन पर ही जीत मिली, वह भी भी पंजाब से, जहां उसकी पूर्ण बहुमत की सरकार है। पंजाब की सभी 13 सीटों पर आप ने चुनाव लड़ा था, लेकिन यहां उसे बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा। यही हाल उसका दिल्ली में भी रहा। यहां उसने कांग्रेस से गठबंधन कर लोकसभा की सात सीटों में से चार सीटों पर चुनाव लड़ा, जिसमें उसे चारों सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। दिल्ली में कांग्रेस के साथ उसका गठबंधन कामयाब नहीं रहा, क्योंकि कांग्रेस भी तीनों सीटें हार गई और बीजेपी ने लगातार तीसरी बार दिल्ली में सातों सीटों पर जीत का परचम लहरा दिया।
गौरतलब है कि पिछले दो साल से दिल्ली की आप पार्टी और सरकार के आगे लगातार अवरोध पैदा हो रहे हैं और उसकी साख को लेकर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं। शराब घोटाले के आरोप में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व सरकार के पूर्व वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया के अलावा स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन हवाला घोटाले में तिहाड़ जेल में बंद हैं। पार्टी के वरिष्ठ सांसद संजय सिंह भी शराब घोटाले के आरोप में तिहाड़ जेल जा चुके हैं और फिलहाल जमानत पर हैं। अभी कुछ दिन पूर्व पार्टी को एक गंभीर संकट का सामना करना पड़ा, जब पार्टी की राज्यसभा सांसद व दिल्ली महिला आयोग की पूर्व सांसद स्वाति मालीवाल की सीएम आवास में केजरीवाल के पीए बिभव कुमार ने कथित तौर पर पिटाई कर दी। इस मसले पर पुलिस में एफआईआर दर्ज है और बिभव फिलहाज जेल में हैं। दूसरी ओर दिल्ली में पानी का अभूतपूर्व संकट खड़ा हो रहा है और सीएम के बिना सरकार चलने में संकट पैदा हो रहा है। तो सवाल है कि ऐसे में क्या हो सकता है और दिल्ली सरकार के आगे अस्तित्व का संकट पैदा हो सकता है।
जेल में जाने के बावजूद सीएम केजरीवाल इस्तीफा देने के मूड में नहीं है और ऐसे पेच तलाश रहे हैं कि वह जेल से ही सरकार चला सकें। यह ठीक है कि भारतीय संविधान में किसी सीएम के जेल जाने पर उसका इस्तीफा लेने का प्रावधान नहीं है, लेकिन जेल से सरकार चलाने के लिए उसे कानूनी व संवैधानिक समस्या आ सकती है। इसके लिए सबसे पहले तो उन्हें उपराज्यपाल वीके सक्सेना से इजाजत लेनी होगी। लेकिन संविधान यह भी कहता है कि उपराज्यपाल चाहें तो सीएम के जेल में होने के चलते दिल्ली सरकार को भंग कर सकते हैं। इसकी तस्दीक सुप्रीम कोर्ट भी कर चुका है। संविधान विशेषज्ञ एसके शर्मा के अनुसार उपराज्यपाल दिल्ली सरकार को ताकीद कर सकते हैं कि चूंकि सीएम जेल में बंद है, इसलिए वह नया मुख्यमंत्री चुने। ऐसा होने पर सरकार को कोई खतरा नहीं होगा, लेकिन आप नेताओं ने ऐसा करने से इनकार कर दिया तो एलजी सरकार को ही भंग कर आप को पैदल कर सकते हैं। सूत्र बताते हैं कि ऐसी संभावना कभी भी पैदा हो सकती है।
दिल्ली के लोकसभा चुनाव में आप की परफार्मेंस की बात करें तो इस बार राजधानी में लोकसभा चुनाव के नतीजों में विधानसभा की 70 सीटों में से बीजेपी ने 53 सीटों पर विजय हासिल की। इस चुनाव में आप पार्टी को मात्र नौ विधानसभा सीटों पर बढ़त मिली, जबकि कांग्रेस को मात्र 8 विधानसभा सीटों पर। वैसे पिछले दो लोकसभा चुनाव में बीजेपी दिल्ली की लगातार सातों सीटें जीतती आ रही है, लेकिन वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में 67 और 2020 के विधानसभा चुनाव में 62 सीटें जीतकर उसने बीजेपी का सूपड़ा साफ कर दिया था। अब अगले साल विधानसभा चुनाव हैं। देखना होगा कि आप अपना पिछला इतिहास दुहराती है या इस बार उसे परेशानी का सामना करना होगा।
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