राजधानी में डेंगू अब केवल बरसात के मौसम तक सीमित नहीं रहा। यह बीमारी अब साल के लगभग हर महीने राजधानी के निवासियों को अपनी चपेट में ले रही है। इतना ही नहीं, पहले जहां डेंगू दो वर्षों के अंतराल पर गंभीर रूप लेता था, वहीं अब एक साल के अंतराल में इसका विकराल रूप सामने आ रहा है। इस तरह मौसमी रोग माने जाने वाला डेंगू अब सालभर की चुनौती बन गया है।
पिछले चार वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2021 से 2024 के बीच राजधानी में डेंगू के करीब 30 हजार मामले सामने आए। वर्ष 2021 में जहां 9613 मामले सामने आए थे, वहीं 2022 में यह संख्या घटकर 4469 पर आ गई, लेकिन 2023 में फिर से मामलों में तेजी आई और 9266 केस मिले। वर्ष 2024 में डेंगू के 6391 मामले सामने आए थे। इस वर्ष भी पहले चार माह के दौरान 130 मामले सामने आ चुके हैं। इन वर्षों के दौरान वर्ष 2021 के जनवरी माह को छोड़कर कोई भी माह ऐसा नहीं है, जिसमें डेंगू के मामले सामने नहीं आए। लिहाजा डेंगू का प्रकोप पूरे साल सक्रिय रहता है।
श्वसन संबंधी बीमारी से जूझ रहे मरीजों के लिए बढ़ा खतरा
हवा में धूल मिलने से सांसों पर संकट बढ़ गया है। डॉक्टरों ने श्वसन संबंधी बीमारी से जूझ रहे मरीजों को अधिक सावधानी बरतने के लिए परामर्श दिया है। साथ ही बच्चे और बुजुर्ग को धूल भरे माहौल में बाहर निकलने पर सतर्कता बरतने को कहा है।
स्वामी दयानंद अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी और फेफड़ा रोग विशेषज्ञ डॉ. ग्लैडबिन त्यागी ने कहा कि आबोहवा में धूल के होने से अस्थमा, दमा और एलर्जी संबंधी बीमारियों से ग्रसित मरीजों की मुश्किलें बढ़ जाती है। धूल के बारीक कण सांस की नली के जरिए फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं। इससे सांस लेने में तकलीफ, छींक आना, खांसी सहित कई दूसरी समस्या बढ़ जाती है। इससे अस्थमा का अटैक आने लगता है। ऐसे हालात होने पर लोग बाहर निकलने को लेकर सावधानी बरतें। चेहरे पर मास्क लगाकर रखें। कपड़े से भी मुंह को ढक सकते हैं।
मौत के आंकड़े भी कर रहे चिंतित
डेंगू न केवल लोगों को बीमार कर रहा है, बल्कि जानलेवा भी साबित हो रहा है। वर्ष 2021 में 23 मौतें दर्ज हुईं। वहीं 2022 में नौ और 2023 में 19 मौतें हुईं, जबकि 2024 में 11 मौतें हुईं। यह साफ संकेत है कि डेंगू केवल एक वायरल बुखार नहीं, बल्कि गंभीर स्वास्थ्य संकट बन चुका है।
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