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‘1980-82 से हैं यहां’: याचिकाकर्ताओं का दावा, बाटला हाउस में डीडीए के विध्वंस नोटिस पर फैसला सुरक्षित

बाटला हाउस में डीडीए के विध्वंस नोटिस पर हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता ने कहा कि डीडीए ने सामान्य नोटिस जारी किया है, जिसमें खसरा नंबर 279 में आने वाली संपत्तियों का स्पष्ट डिमार्केशन नहीं किया गया है।

हाईकोर्ट ने ओखला स्थित बाटला हाउस क्षेत्र में कथित अवैध संपत्तियों के विध्वंस के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा जारी नोटिस को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। न्यायमूर्ति तेजस करिया की पीठ ने याचिकाकर्ताओं और डीडीए के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद यह निर्णय लिया।

याचिकाएं हीना परवीन, जीनत कौसर, रुखसाना बेगम और निहाल फातिमा सहित अन्य की ओर से दायर की गई थीं। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता ने कहा कि डीडीए ने सामान्य नोटिस जारी किया है, जिसमें खसरा नंबर 279 में आने वाली संपत्तियों का स्पष्ट  डिमार्केशन नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि इस खसरे में सभी संपत्तियां अवैध नहीं हैं। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि वे लंबे समय से इन संपत्तियों में रह रहे हैं और इन्हें बिल्डर से खरीदा था।

उनके वकील ने बताया कि खसरा नंबर 279 में कुल 34 बीघा जमीन है, लेकिन विध्वंस का आदेश केवल 2 बीघा और 10 बिस्वा के लिए है। उन्होंने कहा कि कुछ याचिकाकर्ता 1980-82 से वहां रह रहे हैं। उनके दस्तावेज उर्दू और फारसी में थे, जिनका बाद में अनुवाद कराया गया।

वहीं, डीडीए की ओर से पेश वकील ने याचिकाओं का विरोध किया। डीडीए ने निहाल फातिमा और अन्य के मामले में दावा किया कि उनके पास कोई शीर्षक दस्तावेज नहीं हैं और जो दस्तावेज पेश किए गए, वे कार्यवाही के दौरान तैयार किए गए।

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