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लोकसभा में पारित हुए जम्मू कश्मीर से जुड़े दो अहम बिल, जानें क्या होंगे इसके परिणाम

जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक लोकसभा में जोरदार बहस के बाद आखिरकार पास कर दिया गया। इस बहस पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि बिल के उद्देश्यों पर सभी की सहमति है। उन्होंने कहा कि ये बिल लोगों को न्याय दिलाने के लिए है। मैं जो विधेयक लेकर आया हूं, वह बिल 70 वर्षों से जिन पर अन्याय हुआ, अपमानित हुए और जिनकी अनदेखी की गई, उनको न्याय दिलाने का​ बिल है।

 

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि ये बिल 70 सालों में जिनके साथ अन्नाय हुआ उनको आगे बढ़ाने का बिल है। जो लोग अपने ही देश में विस्तापित हुए ये बिल उनको सम्मान और नेतृत्व देने का है। उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि किसी ने इस बिल का विरोध नहीं किया। छह घंटे की चर्चा चली। जिन पर आतंकवाद को रोकने की जिम्मेदारी थी। वो इंग्लैंड में छुट्टियां मना रहे थे।

 

शाह ने कहा कि जो लोग ये पूछ रहे थे कि विस्थापित कश्मीरी पंडितों को आरक्षण देने से क्या होगा।। तो मैं कहना चाहता हूं कि कश्मीरी पंडितों को आरक्षण देने से कश्मीर की विधानसभा में उनकी आवाज गूंजेगी और अगर फिर विस्थापन की स्थिति आएगी तो वो उसे रोकेंगे। जो ये कहते हैं कि धारा 370 हटने से क्या हुआ?

 

इस पर मैं कहना चाहता हूं कि 5-6 अगस्त 2019 को इनकी वर्षों से न सुनी जाने वाली आवाज को मोदी जी ने सुना और आज उनको उनका अधिकार मिल रहा है। जब कश्मीरी विस्थापित हुए, तो अपने ही देश में उन्हें शरणार्थी बनना पड़ा। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी देश के एसे नेता हैं, जो गरिब से गरिब परिवार से आते हैं। वो पिछड़ा वर्ग का भी दर्द जानते हैं और गरीब का भी दर्द जानते हैं।

 

इस बिल के जरिए आतंकवाद की भयावह त्रासदी झेले लोगों को मजबूती मिलेगी। अपने ही देश विस्थापित होकर अपने वतन से उखड़ कर रहे उनको अधिकार और मजबूती के लिए ये बिल है। शाह ने कहा कि आतंकवाद की वजह से 46631 परिवार और 157967 लोग अपने राज्य अपने शहर छोड़कर विस्थापित होकर दूसरे राज्यों में रह रहे हैं।

 

पाकिस्तान से पहले युद्ध के बाद 31779 परिवार पीओके से विस्थापित होकर 26319 जम्मू कश्मीर में और 5460 परिवार देश भर में बसे हैं। इस डेलिमिटेशन में जानबूझकर हमने बैलेंस बनाया है। नए बिल के जरिए कश्मीर से बाहर वहां के विस्थापित 2 नॉमिनेटेड सदस्य और अनाधिकृत पाकिस्तान के हिस्से वाले क्षेत्र से 1 नॉमिनेटेड प्रतिनिधि का चुनाव होगा। कुल मिलाकर विधानसभा में पहले 3 नॉमिनेटेड सदस्य होते थे और अब 5 नॉमिनेटेड होंगे। जम्मू क्षेत्र में 37 से बढ़ाकर 43 और कश्मीर क्षेत्र में 46 से 47 विधानसभा की सीटें कर दी गई हैं।

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