मां के दूध में मिलने वाला लैक्टोफेरिन आंखों के सूखापन को दूर कर सकता है। यह खुलासा एम्स के एक शोध में हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है आंखों की सर्जरी, मोबाइल के अत्यधिक इस्तेमाल के कारण आंखों की समस्या बढ़ सकती है।
जबकि सर्जरी के बाद आंखों में आंसू आने की क्रिया प्रभावित होती है जो लंबे समय के बाद मरीज की समस्या को गंभीर कर सकता है। इस शोध में सूखी आंखों में फिर से आंसू की क्रिया को सामान्य बनाने में लैक्टोफेरिन एक अहम भूमिका निभा सकता है।
सर्जरी के बाद 60 फीसदी में होती है दिक्कत
एम्स के आरपी सेंटर की प्रो. डॉ. नम्रता शर्मा ने बताया कि पोस्ट रिफ्रेक्टिव सर्जरी (चश्मा हटाने के लिए) के दौरान करीब 60 फीसदी मरीजों में आंखों के सूखापन की समस्या होती है। इस कारण मरीज के आंखों को नुकसान हो सकता है। इससे कॉर्नियल-न्यूरल-लैक्रिमल रिफ्लेक्स आर्क में रुकावट आ सकती है जाे आंखों के लिए आंसू उत्पादन और पलक झपकने की दर को नियंत्रित करती है। ऐसे में सर्जरी के बाद मरीज को लैक्टोफेरिन देने से बड़ी राहत मिली।
इनमें पाया जाता है लैक्टोफेरिन
एम्स के बायोफिजिक्स विभाग की प्रो. डॉ. सुजाता शर्मा ने बताया कि लैक्टोफेरिन एक (प्रोटीन) ग्लाइकोप्रोटीन है। यह मां के दूध में (गाढ़ा पीला दूध) के अलावा खून और शरीर के कुछ अन्य तरल पदार्थों में पाया जाता है। इसी प्रोटीन का इस्तेमाल सूखी आंखों पर गोली या आई ड्रॉप्स के तौर पर किया गया।
मौजूदा समय में सूखी आंखों के पोस्टऑपरेटिव उपचार के लिए स्टेरॉयड, साइक्लोस्पोरिन आई ड्रॉप सहित अन्य का इस्तेमाल होता है जिससे नुकसान हो सकता है। जबकि लैक्टोफेरिन एक अच्छा विकल्प है। इसकी मदद से रोगाणुरोधी और साथ ही कोशिका की वृद्धि की जा सकती है। स्जोग्रेन और गैर-स्जोग्रेन सूखी आंखों के उपचार के रूप में मौखिक लैक्टोफेरिन का उपयोग का परिणाम बेहतर मिला।
50 मरीजों पर हुआ शोध
सूखी आंख के इलाज के लिए लैक्टोफेरिन की उपयोगिता के लिए 50 मरीजों पर शोध किया गया। यह मरीज एम्स में आंखों की सर्जरी करवा चुके थे। शोध के दौरान मरीज के दो ग्रुप बनाए गए। एक ग्रुप को लैक्टोफेरिन दिया गया, जबकि दूसरे ग्रुप को सामान्य तौर पर देखरेख की सुविधा मिली। शोध में पाया गया कि जिन मरीजों को लैक्टोफेरिन दिया गया उन मरीजों की आंखों में सामान्य तरह से आंसू बन रहे थे।
No Comments: