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दिल्ली बनेगी ‘ग्रीन सिटी’: 1000 भवनों की छतों पर लगेंगे सोलर प्लांट, MCD को फायदा…दिल्लीवालों को सुविधा

दिल्ली बनेगी ‘ग्रीन सिटी’: 1000 भवनों की छतों पर लगेंगे सोलर प्लांट, MCD को फायदा...दिल्लीवालों को सुविधा

एमसीडी अब अपने ऊर्जा व्यय को घटाने और पर्यावरण के अनुकूल व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए तेज गति से सौर ऊर्जा को अपनाने की दिशा में आगे बढ़ेगी। वह इस योजना के तहत अपने लगभग 1000 भवनों की छतों पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाएगी।

यह कदम उठाने से करीब 20 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। एमसीडी अपने करीब 574 भवनों पर सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित कर चुकी है, जिनकी क्षमता 13.25 मेगावाट है। एमसीडी के अनुसार, उसके पास वर्तमान में ऐसे 989 भवन हैं, जिनकी छतों पर करीब 20 मेगावाट क्षमता के संयंत्र लगाए जा सकते हैं। इन भवनों की उपयुक्तता का मूल्यांकन निवेश ग्रेड ऑडिट के माध्यम से किया जा रहा है।

इस परियोजना के पूर्ण होने पर एमसीडी का सालाना बिजली खर्च करोड़ों रुपये तक घट सकता है और यह राशि नगर सेवा सुधार के अन्य क्षेत्रों में उपयोग की जा सकती है। इतना ही नहीं, सौर ऊर्जा संयंत्रों से केवल बिजली बचत ही नहीं हो रही, बल्कि दिल्ली के वायु प्रदूषण को कम करने में भी सहायता मिल रही है। इससे कार्बन उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी आने की संभावना है। जिन भवनों पर संयंत्र पहले ही स्थापित किए जा चुके हैं, वहां विद्युत खपत में औसतन 30 से 40 प्रतिशत तक की कमी दर्ज की गई है।

संयंत्र की स्थापना, संचालन और अनुरक्षण की जिम्मेदारी निष्पादन एजेंसी की
एमसीडी यह परियोजना नवीकरणीय ऊर्जा सेवा कंपनी मॉडल के तहत क्रियान्वित कर रही है। इस मॉडल की सबसे खास बात यह है कि इसमें संयंत्र की स्थापना, संचालन और अनुरक्षण की संपूर्ण जिम्मेदारी निष्पादन एजेंसी की है। एमसीडी को इन कार्यों पर प्रारंभिक निवेश नहीं करना पड़ता। एजेंसी को पावर परचेज एग्रीमेंट के तहत अनुबंधित अवधि के दौरान प्रति यूनिट सौर ऊर्जा के लिए पूर्व निर्धारित दर पर भुगतान किया जाता है।

महानगर में बिजली की  मांग तेजी से बढ़ रही
एमसीडी का कहना है कि दिल्ली जैसे महानगर में बिजली की मांग तेजी से बढ़ रही है। इस बीच उसकी यह पहल अन्य शासकीय संस्थाओं और निजी संगठनों के लिए भी एक अनुकरणीय मॉडल बन सकती है। एमसीडी ने यह स्पष्ट किया है कि उसका लक्ष्य न केवल आर्थिक बचत करना है, बल्कि स्वच्छ, हरित और सतत विकास को बढ़ावा देना भी है। यह पहल राजधानी को ‘ग्रीन सिटी’ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकती है।

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