नई दिल्ली। अगर आप भी बैंक कर्मी हैं तो ये खबर आपके बहुत काम की है। क्योकि देश की सर्वोच्च अदालत ने बैंककर्मियों को बड़ा झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि कर्मचारियों को प्रदान किए गए ब्याज मुक्त या रियायती लोन को “अनुषंगी लाभ” या “सुविधाएं” माना जाएगा। इसलिए सभी रियायती लोन और सुविधाएं इनकम टैक्स के दायरे में आएंगी। सरल शब्दों में समझे तो बैंक कर्मियों को जितनी भी रियायते सरकार से मिलती हैं। उन पर भी टैक्स का भुगतान करना होगा। इसलिए किसी भी सुविधा या रियायती लोन पर टैक्स माफ नहीं किया गया है।
देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि कर्मचारियों को बैंक की ओर से इंटरेस्ट फ्री लोन की सुविधा खास तौर पर दी जाती है। जिससे उन्हें या तो कम ब्याज पर या ब्याज फ्री लोन मिल जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे फ्रिंज बेनेफिट या अमेनिटीज करार दिया और कहा कि इस कारण ऐसे लोन टैक्सेबल हो जाते हैं। इसलिए किसी भी रियायती लोन पर टैक्स में छूट नहीं है। इसके अलावा सर्वोच्च अदालत ने इनकम टैक्स के नियमों को बरकरार रखा। किसी प्रकार की कोई भी छूट देने से इंकार कर दिया है।।
दरअसल, बैंक कर्मचारियों के संगठनों ने आयकर विभाग के एक नियम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जिसमें उन्होने बैंक कर्मियों को मिलने वाली लोन सुविधा को टैक्स से बाहर रखने की मांग की थी। इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 17(2)(viii) और इनकम टैक्स रूल्स 1962 के नियम 3(7)(i) के तहत अनुलाभ को परिभाषित किया था। लेकिन न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता ने अपने फैसले में कहा कि “अनुलाभ’ कर्मचारी की स्थिति से जुड़ा एक अतिरिक्त लाभ है। बैंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि “यह रोजगार से जुड़ा है और वेतन से अधिक या अतिरिक्त है।” इसलिए यह सुविधा बैंक कर्मचारियों को सैलरी के अलावा मिलने वाली सुविधाओं में शामिल हो जाती है। जिसके चलते सभी सुविधाएं टैक्स के दायरे में ही रहेंगी।।
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