header advertisement

Delhi: एमसीडी से अलग फैक्टरी लाइसेंस की अब जरूरत नहीं, कारोबारियों को बड़ी राहत; लीज पेपर ही अब लाइसेंस

यदि कोई फैक्टरी जीएनसीटीडी या डीएसआईआईडीसी के स्थापित या मान्यता प्राप्त औद्योगिक क्षेत्र में है और उसके पास वैध एमएसएमई रजिस्ट्रेशन या आवंटन पत्र/लीज डीड है, तो उसे एमसीडी से फैक्टरी लाइसेंस लेने की कोई आवश्यकता नहीं होगी।

राजधानी के औद्योगिक इलाकों में काम कर रही फैक्ट्रियों को एमसीडी से अलग से फैक्टरी लाइसेंस नहीं लेना पड़ेगा। ऐसे उद्यमियों के एमएसएमई पंजीकरण या जीएनसीटीडी/ डीएसआईआईडीसी से जारी लीज पेपर को ही लाइसेंस के रूप एमसीडी मान्यता दे देगा। सदन की बैठक में बृहस्पतिवार को यह महत्वपूर्ण प्रस्ताव पास किया गया।

यदि कोई फैक्टरी जीएनसीटीडी या डीएसआईआईडीसी के स्थापित या मान्यता प्राप्त औद्योगिक क्षेत्र में है और उसके पास वैध एमएसएमई रजिस्ट्रेशन या आवंटन पत्र/लीज डीड है, तो उसे एमसीडी से फैक्टरी लाइसेंस लेने की कोई आवश्यकता नहीं होगी। एमसीडी इन्हीं दस्तावेजों को डीम्ड लाइसेंस यानी स्वीकृत लाइसेंस मान लेगी। लाइसेंस फीस भी अब अलग से जमा करने के बजाय, संपत्ति कर के साथ एक बार में ली जाएगी। यानी अब एक ही रसीद से लाइसेंस और टैक्स दोनों का काम हो जाएगा। यह लाइसेंस शुल्क प्रॉपर्टी टैक्स का पांच फीसदी होगा।
इस फैसले से उद्योगपतियों को फैक्टरी लाइसेंस के लिए एमसीडी के न तो चक्कर लगाने पड़ेंगे और न ही निरीक्षण के नाम पर अनावश्यक दबाव झेलना होगा। एमसीडी ने साफ किया है कि नई व्यवस्था के तहत कोई निरीक्षक फैक्टरी में जांच के लिए नहीं जाएगा।

लाइसेंस मिलने का मतलब यह नहीं कि जान-माल की सुरक्षा की जिम्मेदारी एमसीडी की है। अगर कोई हादसा होता है तो पूरी जिम्मेदारी फैक्टरी मालिक की होगी। इसके लिए एक डिस्क्लेमर भी प्रॉपर्टी टैक्स/लाइसेंस की रसीद में जोड़ा जाएगा, जिसमें साफ लिखा होगा कि फैक्टरी के संचालन में सुरक्षा सुनिश्चित करना मालिक का दायित्व है।

लाइसेंस राज से मुक्ति की दिशा में बड़ा कदम : एमसीडी
मेयर राजा इकबाल सिंह, स्थायी समिति की अध्यक्ष सत्या शर्मा और नेता सदन प्रवेश वाही ने प्रस्ताव पास होने पर इसे लाइसेंस राज से मुक्ति की दिशा में बड़ा कदम बताया। उम्मीद जताई कि यह नीति दिल्ली को कारोबार के लिए और अधिक अनुकूल बनाएगी। आने वाले हफ्तों में यह नीति लागू कर दी जाएगी।

एचपी आधारित फीस भी की गई खत्म
पहले लाइसेंस फीस फैक्टरी में इस्तेमाल हो रही बिजली यानी एचपी (हॉर्सपावर) के आधार पर तय होती थी। इसे लेकर कारोबारियों की शिकायत थी कि एमसीडी अधिकारी फैक्टरी का निरीक्षण करने के बहाने अंदर आते हैं और उत्पीड़न करते हैं। अब यह व्यवस्था भी खत्म कर दी गई है। एमसीडी ने कहा है कि एचपी की जगह प्रॉपर्टी टैक्स के प्रतिशत के तौर पर लाइसेंस फीस ली जाएगी।

No Comments:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

sidebar advertisement

National News

Politics