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दिल्ली कोर्ट की अहम टिप्पणी: महिला को हराम बोलना उसकी गरिमा का अपमान, आरोपी को इस आरोप में माना दोषी

दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने महिला को हराम बोलना उसकी गरिमा का अपमान बताया है और आरोपी को दोषी करार दिया है। मामला 2017 का बताया जा रहा है। जब आरोपी महिला को परेशान कर रहा था।

तीस हजारी कोर्ट ने एक महिला को हराम शब्द बोलकर उसकी गरिमा का अपमान करने के लिए एक आरोपी को दोषी ठहराया है। आरोपी हेमंत उर्फ जीत के खिलाफ तिमारपुर पुलिस थाना में भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 509 (किसी महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से शब्द, हाव भाव या कृत्य) के तहत मामला दर्ज था।

न्यायिक मजिस्ट्रेट करणबीर सिंह ने फैसला सुनाते हुए कहा कि हराम शब्द ऐसा शब्द नहीं है जिसका इस्तेमाल सिर्फ किसी व्यक्ति का अपमान करने के लिए किया जाता है। हराम शब्द का मतलब है कोई ऐसी चीज जो निषिद्ध हो और जिसे गलत तरीके से अर्जित किया गया हो। न्यायाधीश ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने अपने मामले को संदेह से परे साबित कर दिया है। ऐसे में यह साबित हो गया कि आरोपी ने पीड़िता के चरित्र पर कलंक लगाने वाले शब्दों का प्रयोग किया था। इसलिए, आरोपी को आईपीसी की धारा 509 के तहत अपराध के लिए दोषी ठहराया जाता है।

17 मई के आदेश में अदालत ने कहा कि आरोपी के बोले गए शब्द का इस्तेमाल का उद्देश्य केवल पीड़िता का अपमान करना नहीं था। बल्कि इसका मतलब था कि वह चरित्रहीन थी, जिससे उसके चरित्र पर कलंक लगा। ऐसे शब्द किसी भी महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले हैं। मामला 2017 का है, जब आरोपी महिला को परेशान कर रहा था। आरोपी ने 8 जुलाई 2019 को अपमानजनक शब्द बोलकर अपराध किया था। 

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