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Congress:बिहार चुनाव से पहले SC-ST,OBC को पाले में लाने की कांग्रेस ऐसी है तैयारी, आरक्षण पर बिछ रही ये बिसात

विधानसभा चुनावों पहले एससी-एसटी और ओबीसी समुदाय को अपने पाले में लाने के कांग्रेस ने तैयारियां शुरु कर दी है। कांग्रेस ने मोदी सरकार पर हमला बोला है और बहुजनों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया है।

नई दिल्ली। बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के पहले ही प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मियां तेज है। सभी दलों के नेताओं का बिहार आना-जाना का सिलसिला शुरू हो चला हैं। भाजपा जहां कांग्रेस और आरजेडी पर हमलावर है। जबकि दूसरी ओर विपक्षी दल भी जेडीयू और भाजपा पर निशाना साध रहे है।

विधानसभा चुनावों पहले एससी-एसटी और ओबीसी समुदाय को अपने पाले में लाने के कांग्रेस ने तैयारियां शुरु कर दी है। कांग्रेस ने मोदी सरकार पर हमला बोला है और बहुजनों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया है। पार्टी के एससी-एसटी और ओबीसी मोर्चा के अध्यक्षों ने प्रेस वार्ता कर आरोप लगाया कि पिछले 11 वर्षों के शासन में मोदी सरकार इन समुदायों का कल्याण करने में विफल रही है। कांग्रेस ने निजी क्षेत्र के शिक्षण संस्थानों में भी आरक्षण लागू करने की मांग की है।

ऑल इंडिया आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. विक्रांत भूरिया ने आरोप लगाया कि देश में जिस बहुजन समाज की आबादी 90 प्रतिशत है, उन्हें निजी शिक्षण संस्थानों में सिर्फ 12 प्रतिशत जगह मिल रही है। इस मुद्दे पर संसदीय कमेटी ने सिफारिश की है कि देश के निजी हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट में एससी को 15 प्रतिशत, एसटी को 7.5 प्रतिशत, ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए लेकिन मोदी सरकार चुपचाप बैठी है। कांग्रेस सरकार में संविधान के अनुच्छेद 15(5) में जो संविधान संशोधन किया गया था, वो क्रांतिकारी कदम था। इस फैसले में समानता के अधिकार को ध्यान में रखा गया था। आज 11 साल हो गए हैं, लेकिन मोदी सरकार ने इस कानून पर कोई कदम नहीं उठाया। वे बहुजनों की बात तो करते हैं, लेकिन सुनते सिर्फ अपने मित्रों की हैं।

कांग्रेस अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के अध्यक्ष राजेंद्र पाल ने केंद्र सरकार से निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण लागू करने की मांग की। उन्होंने कहा कि हमारी केंद्र सरकार से अपील है कि वे जल्द से जल्द निजी शिक्षण संस्थानों में एससी,एसटी और ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण लागू करने के बारे में कदम उठाएं। इसके अलावा, कमेटी द्वारा जो सुझाव दिए गए हैं, उनका पालन करें और कमजोर वर्ग से आने वाले छात्रों के लिए मुफ्त कोचिंग की व्यवस्था की जाए।

कांग्रेस ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष जयहिन्द ने आरोप लगाया कि भर्तियों में आजकल दलित और पिछड़े समाज के उम्मीदवारों के साथ भेदभाव किया जा रहा है और इसके लिए एक नया जुमला बनाया गया है- NFS का। एनएफएस का मतलब नॉट फाउंड सुटेबल है। ये बातें हर बार सामने आती है कि लोगों के पास सारी योग्यताएं होने के बावजूद एससी/एसटी और ओबीसी समुदाय के लिए आरक्षित सीटों पर नॉट फाउंड सुटेबल बताकर सीटें खाली रखी जा रही हैं।

जयहिंद ने कहा,प्रधानमंत्री खुद को ओबीसी वर्ग से बताते हैं, लेकिन इन 11 साल में जितना खामियाजा इस वर्ग को उठाना पड़ा है, उतना कभी नहीं हुआ। इतना ही नहीं- 2017 के बाद से आजतक नरेंद्र मोदी क्रीमी लेयर को भी रिवाइज नहीं कर पाए हैं। कांग्रेस सरकार ने निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण लागू करने को लेकर जो कानून बनाया था, उसपर सुप्रीम कोर्ट ने भी अपना फैसला दे दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ये कानून लागू होना चाहिए, लेकिन मोदी सरकार 11 साल से इस पर कोई फैसला नहीं लिया है। हमारे जाति जनगणना का भी मुद्दा उठाने के बाद सरकार ने दबाव में आकर जातिगत जनगणना कराने की बात तो कबूल कर ली है, लेकिन उसे पूरा करने और उसकी प्रक्रिया का कोई रोडमैप नहीं दिखाई दे रहा है।

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