असम के मोरिगांव जिले में एक पूर्व स्कूल शिक्षक खैरुल इस्लाम शनिवार को अपने घर लौट आए। उन्हें विदेशी होने के आरोप में असम पुलिस ने हिरासत में लिया था। उनके परिवार के लोगों ने दावा किया था कि उन्हें बांग्लादेश भेज दिया गया है। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि खैरुल इस्लाम समेत नौ लोगों को 24 मई को जिले के विभिन्न हिस्सों से हिरासत में लिया गया था, लेकिन उनके परिवार वालों का दावा था कि उन्हें उनके ठिकाने की कोई जानकारी नहीं दी गई।
खैरुल के परिवार ने दावा किया था कि उन्होंने एक वीडियो में उन्हें देखा, जिसमें वह बांग्लादेश ले जाए जा रहे थे। परिवार का कहना था कि दक्षिण सलमारा मानकचर जिले में भारत-बांग्लादेश सीमा पर उन पर गोलीबारी भी हुई थी। शनिवार सुबह पुलिस खैरुल को उनके घर वापस लाई। असम बॉर्डर पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि उनकी मेडिकल जांच की गई और उन्हें शारीरिक रूप से स्वस्थ पाया गया। हालांकि, अधिकारी ने यह खुलासा करने से इन्कार कर दिया कि खैरुल को हिरासत में कहां रखा गया था। खैरुल के साथ हिरासत में लिए गए अन्य आठ लोगों को गोलपारा जिले के मटिया डिटेंशन सेंटर में स्थानांतरित कर दिया गया है। उनके परिवारों का कहना है कि उनकी अपील सुप्रीम कोर्ट या गौहाटी हाकोर्ट में लंबित है।
कानून का पालन करने वाले नागरिक हैं इस्लाम : पत्नी
खैरुल की पत्नी रीता खानम ने शुक्रवार को कहा था कि उनके पति एक पूर्व शिक्षक और कानून का पालन करने वाले नागरिक हैं। उन्होंने बताया कि पुलिस रात में उनके घर आई और कुछ सवाल पूछने के बहाने खैरुल को ले गई, लेकिन बाद में परिवार को उनकी कोई जानकारी नहीं दी गई। खैरुल और उनके तीन भाई-बहनों को 2016 में फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल ने विदेशी घोषित किया था, जिसके खिलाफ उन्होंने गौहाटी हाईकोर्ट में अपील की थी। हाईकोर्ट ने ट्रिब्यूनल के फैसले को बरकरार रखा, जिसके बाद 2018 में खैरुल को हिरासत में लिया गया था। 2020 में सुप्रीम कोर्ट के दो साल से अधिक हिरासत में रहने वाले कैदियों को रिहा करने के आदेश के बाद उन्हें रिहा किया गया था।
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