PM Modi: ‘बंगलूरू से हैदराबाद सामान भेजना यूरोप से ज्यादा मुश्किल था’, पीएम मोदी ने सुनाया 2014 का किस्सा
पीएम मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में 2014 का किस्सा सुनाया। उन्होंने कहा कि विदेशी अखबार में छपे लेख में एक कंपनी ने बताया था कि बंगलूरू से 570 किलोमीटर दूर हैदराबाद सामान भेजने से अच्छा था कि वे पहले बंगलूरू से यूरोप सामान भेजें और फिर यूरोप से हैदराबाद वापस मंगाएं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में जहां एक तरफ नए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) दरों को लेकर खुशी जताई। वहीं दूसरी ओर जीएसटी के पुराने दौर की चुनौतियों को भी याद किया। साथ ही बताया कि देश को टैक्स के जटिल सिस्टम से निकालना क्यों जरूरी था।
पीएम मोदी ने कहा कि एक समय था जब देश के अंदर एक जगह से दूसरी जगह सामान भेजना बेहद मुश्किल होता था। हर राज्य के अलग-अलग टैक्स, चेक पोस्ट और फॉर्म की झंझट थी। इस दौरान उन्होंने एक विदेशी अखबार में छपे उदाहरण का जिक्र किया, जिसमें एक कंपनी ने बताया था कि बंगलूरू से 570 किलोमीटर दूर हैदराबाद सामान भेजने से अच्छा था कि वे पहले बंगलूरू से यूरोप सामान भेजें और फिर यूरोप से हैदराबाद वापस मंगाएं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ये हालात टैक्स और टोल के जंजाल की वजह से बने थे। तब लाखों कंपनियों और आम लोगों को रोजाना परेशानियों का सामना करना पड़ता था। एक शहर से दूसरे शहर सामान पहुंचने में जो खर्च बढ़ता था, वो अंत में गरीब और ग्राहक को ही उठाना पड़ता था। वो खर्च ग्राहकों को उठाना पड़ता था। देश को इस से निकालना जरूरी था। उन्होंने कहा कि देश को इस जटिल और अन्यायपूर्ण टैक्स सिस्टम से निकालना जरूरी था और जीएसटी लाकर एक राष्ट्र, एक टैक्स की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया।
पीएम मोदी ने कहा कि जब आपने हमें 2014 में मौका दिया तो हमने जीएसटी को अपनी प्राथमिकता बनाया। हमने हर राज्यों की हर शंका का निवारण किया। हर सवाल का समाधान खोजा। सभी राज्यों को साथ लेकर आजाद भारत का इतना बड़ा टैक्स सुधार संभव हो पाया।
उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्यों के प्रयासों का नतीजा था कि देश दर्जनों टैक्स के जाल से मुक्त हो गया। अब पूरे देश के लिए एक जैसी व्यवस्था बनी है। वन नेशन, वन टैक्स का सपना साकार हुआ। साथियों रिफॉर्म एक अनवरत चलने वाली प्रक्रिया होती है। जब समय बदलता है, देश की जरूरत बदलती है तो नेक्सट जेन रिफॉर्म्स भी उतने ही आवश्यक होते हैं। वर्तमान जरूरतों और भविष्य को देखते हुए जीएसटी के नए सुधार लागू हो रहे हैं।
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