भारतीय टीम के पूर्व बल्लेबाज मनोज तिवारी ने टीम के मुख्य कोच गौतम गंभीर पर एक बार फिर निशाना साधा है और उन पर आरोप लगाए हैं। गंभीर और तिवारी अतीत में साथ खेले हैं। गंभीर और तिवारी आईपीएल के साथ-साथ दिल्ली की घरेलू टीम में भी खेल चुके हैं। हाल ही में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भारत को मिली हार के बाद से गंभीर कुछ क्रिकेट विशेषज्ञ और प्रशंसकों के निशाने पर हैं।
आकाश की जगह हर्षित को लेने पर उठाए सवाल
तिवारी ने इससे पहले भी गंभीर पर निशाना साधा था और उन्हें पाखंडी कहा था। हालांकि, बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के दौरान डेब्यू करने वाले हर्षित राणा और नीतीश राणा गंभीर के समर्थन में उतरे थे। तिवारी ने कहा, नीतीश और हर्षित क्यों नहीं गंभीर का समर्थन करेंगे? हर्षित को पर्थ टेस्ट में आकाश दीप की जगह खेलने का मौका मिला, ऐसा कैसे संभव हो सकता है? आकाश दीप ने क्या गलत किया था? उन्होंने बांग्लादेश और न्यूजीलैंड के खिलाफ शानदार स्पैल किए थे। एक तेज गेंदबाज के नाते आप मददगार परिस्थितियों में गेंदबाजी करना चाहते हैं, लेकिन आपने आकाश को ही ड्रॉप किया और हर्षित के साथ जाने का फैसला किया जिनके पास प्रथम श्रेणी का इतना अनुभव नहीं था। यह पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण चयन था, इसलिए खिलाड़ी सामने आकर गंभीर का समर्थन कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, मैंने कुछ भी गलत नहीं कहा। यह पीआर है जिसके बारे में बात कर रहा हूं। जब कोई तथ्य के आधार पर बात करता है तो लोग समर्थन में आ जाते हैं, लेकिन वे मुझे नहीं जानते हैं, मैं सिर्फ तथ्य पर बात करता हूं।
‘गांगुली के लिए कहे थे अपशब्द’
तिवारी ने गंभीर के साथ अपने पुराने रिश्तों पर भी बात की और कहा कि इस पूर्व बल्लेबाज ने उनके परिवार के लिए अनुचित बातें कही थी और पूर्व कप्तान सौरव गांगुली के लिए भी अपशब्द कहे थे। तिवारी ने कहा, दिल्ली में रणजी ट्रॉफी मैच के दौरान जब गंभीर मुझसे लड़े तो सभी ने उनके एक-एक शब्द सुने थे। चाहे उन्होंने सौरव गांगुली के बारे में बुरा बोला या मेरे परिवार को गाली दी, कुछ लोगों ने फिर भी उनका बचाव किया। खिलाड़ियों को प्लेइंग-11 में शामिल करने का पैमाना सही नहीं है।
नीतीश ने गंभीर के समर्थन में किया था पोस्ट
मनोज ने जहां गंभीर की जमकर आलोचना की, वहीं केकेआर में गंभीर के साथ लंबे समय तक रहे चुके नीतीश राणा ने भारतीय मुख्य कोच का समर्थन किया था। नीतीश का कहना है कि आलोचना तथ्य के आधार पर होनी चाहिए, निजी असुरक्षा के तहत नहीं। नीतीश ने एक्स पर लिखा था, आलोचना निजी असुरक्षा नहीं, बल्कि तथ्यों के आधार पर होनी चाहिए। गौती भइया जैसा नि:स्वार्थ खिलाड़ी मैंने नहीं देखा है। वह जिस तरह हमेशा अपने कंधों पर जिम्मेदारी लेते हैं, ऐसा करते मैंने किसी को नहीं देखा। प्रदर्शन को किसी पीआर की जरूरत नहीं होती। ट्रॉफी सब कह जाती है।
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