लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने पश्चिमी और बाहरी दिल्ली के 21 जलस्रोतों को पुनर्जीवित करने की योजना बनाई है। इसका मकसद केवल सौंदर्यीकरण भर नहीं बल्कि प्राकृतिक संसाधन के रूप में उपयोग कर बाढ़ नियंत्रण और जलभराव से मुक्ति भी दिलाना है।
साथ ही, गोबर निपटान के लिए अलग स्थान बनाया जाएगा ताकि झील दोबारा प्रदूषित न हो। योजना का मकसद केवल तालाबों को चमकाना नहीं बल्कि उन्हें दिल्ली के जल चक्र से जोड़ना है। इन जलस्रोतों को पानी की नालियों से इंटरलिंक किया जाएगा ताकि बारिश का अतिरिक्त पानी यहां जमा होकर भूजल रिचार्ज कर सके। विशेषज्ञों का कहना है कि यह पहल दिल्ली के लिए स्थायी जल प्रबंधन की दिशा में बड़ा कदम होगी। बवाना, मयापुरी, नरेला और धीरपुर के तालाबों को भी पुनर्जीवित कर आसपास की आबादी को जलभराव की समस्या से राहत मिलेगी।
हरियाली को दिया जाएगा बढ़ावा
परियोजना के तहत सिर्फ पानी रोकने की व्यवस्था ही नहीं बल्कि लोगों को प्रकृति से जोड़ने का भी ख्याल रखा जाएगा। पार्क, कुदरती ट्रेल, मछली पालन, बोटिंग जैसी गतिविधियां विकसित करने की योजना है। 27 जगहों पर पार्क और तालाब विकसित करने की रूपरेखा भी तय की गई है। इससे स्थानीय लोगों को मनोरंजन के साथ-साथ पर्यावरणीय संतुलन का लाभ मिलेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले तीन दशकों में तेजी से हुए शहरी विस्तार ने राजधानी की प्राकृतिक जल प्रणालियों को काफी खराब किया है। जहां कभी तालाब और नाले थे वहां अब कंक्रीट की बस्तियां और सड़कें हैं। नतीजतन, हर बारिश में राजधानी डूबने लगती है।
No Comments: