फर्रुखाबाद। जिले में सामूहिक दुष्कर्म का ऐसा मामला सामने आया है, जिसे जानने के बाद खून के रिश्तों पर भी विश्वास करना मुश्किल होगा। दरअसल, यहां एक शख्स अपने चार दोस्तों के साथ मिलकर अपनी ही बेटी के साथ सामूहिक दुष्कर्म करता था। इतना ही नहीं इनके इस कुर्कम में दादी ने भी उनका साथ दिया। बेटी के गर्भवती होने पर उसकी दादी ने उसका गर्भपात करवाया। कोर्ट ने सामूहिक दुष्कर्म के सभी दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। वहीं गर्भपात कराने वाली दादी को 8 साल की सजा और जुर्माना लगाया गया है।
पूरा मामला फतेहगढ़ कोतवाली क्षेत्र की कर्नलगंज चौकी का है। यहां रहने वाली महिला ने 12 जनवरी 2020 को अपने पति और उसके दोस्तों लालू उर्फ सुरजीत, राहुल उर्फ कुंती, मनोज शाक्य, सोनू तिवारी उर्फ रत्नेश तिवारी, विमल कुमार, विष्णु शरन रस्तोगी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। महिला ने अपनी सास के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज कराया था। महिला ने आरोप लगाया कि उसका पति उसकी 16 साल की बेटी के साथ लगातार दुष्कर्म कर रहा था। इसकी जानकारी होने पर उसे बेटी को जयपुर हॉस्टल में पढ़ने भेज दिया। इसके बाद भी पति उसे जयपुर से बुलाकर उसके साथ दुष्कर्म करता रहा।
शिकायत में कहा गया कि पति अपने दोस्तों को साथ लेकर होटलों में जाता था। वहां पति और उसके दोस्त बेटी के साथ सामूहिक दुष्कर्म करते थे। बेटी ने बताया कि पापा नशीली गोलियां खिलाकर दुष्कर्म करते थे और बाद में उनके दोस्त भी मेरे साथ दुष्कर्म करते थे। इसी बीच बेटी गर्भवती हो गई तो उसकी दादी ने आवास विकास के एक नर्सिंग होम में उसका गर्भपात करा दिया था।
शनिवार को मुकदमे की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश राकेश कुमार सिंह ने गवाहों और साक्ष्यों के आधार पर लेखपाल पिता, दोस्त मनोज शाक्य, सोनू तिवारी उर्फ रत्नेश तिवारी, विमल कुमार और विष्णु शरन रस्तोगी को दोषी करार दिया। वहीं नातिन का गर्भपात कराने को लेकर न्यायालय ने दादी को भी दोषी ठहराया है। इनके अलावा साक्ष्यों के अभाव में लालू उर्फ सुरजीत और राहुल उर्फ कुंती को न्यायालय ने दोषमुक्त कर दिया। इसके बाद सभी दोषियों को जिला जेल भेज दिया गया। सोमवार को न्यायाधीश ने दोषी लेखपाल पिता, उसके दोस्त मनोज शाक्य, सोनू तिवारी उर्फ रत्नेश तिवारी, विमल कुमार और विष्णु शरन रस्तोगी को उम्रकैद की सजा सुनाई।
दुष्कर्म के बाद गर्भवती होने पर नाबालिग नातिन का गर्भपात कराने में दोषी पाई गई दादी को न्यायालय ने आठ वर्ष की सजा सुनाई है । सभी दोषियों को 6.03 लाख रुपये जुर्माना जमा करने के आदेश दिए है । जुर्माना नहीं देने पर दोषियों को एक वर्ष का अतिरिक्त कठोर कारावास भुगतने के आदेश दिए है । न्यायालय ने दोषियों की जेल में बिताई गई अवधि को सजा में समायोजित करने के आदेश दिए हैं।
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