हैदराबाद। भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने मंगलवार को तेलंगाना विधानसभा के स्पीकर जी.प्रसाद कुमार को अर्जी देकर उन 10 विधायकों की सदस्यता समाप्त करने की अपील की जो सत्तारूढ़ कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष के.टी.रामाराव और अन्य विधायकों ने यहां विधानसभा में अध्यक्ष को अर्जी दी। रामाराव ने बताया कि विधानसभा अध्यक्ष ने भरोसा दिया कि वह याचिका पर गौर करेंगे और कानून एवं संविधान के सुसंगत प्रावधानों के तहत फैसला करेंगे।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमें अब भी विधानसभा अध्यक्ष पर भरोसा है। हमें उम्मीद है कि वह फैसला करेंगे। अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो हम उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।’’ बीआरएस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव के बेटे रामाराव ने कहा कि शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में व्यवस्था दी थी कि विधानसभा अध्यक्ष को अयोग्यता की अर्जी पर तीन महीने के भीतर फैसला लेना चाहिए और इससे प्रसाद कुमार को अवगत कराया गया।
रामाराव ने आरोप लगाया कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी संविधान की रक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे करते हैं लेकिन वह पाला बदलने वाले विधायकों की पीठ थपथपा रहे हैं। बीआरएस के प्रतिनिधिमंडल ने विधानसभा अध्यक्ष से अधिकारियों द्वारा कथित तौर पर प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने और विपक्षी पार्टी के विधायकों को नजर अंदाज करने की भी शिकायत की।
कांग्रेस के पिछले साल दिसंबर में सत्ता में आने के बाद से बीआरएस के 10 विधायकों ने पाला बदला है जिससे विपक्षी पार्टी को अयोग्यता याचिका दाखिल करनी पड़ी है। बीआरएस के 10 विधायकों के अलावा छह विधान पार्षद भी पाला बदलकर कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। बीआरएस की आलोचना का जवाब देते हुए कांग्रेस नेताओं ने पूर्व में कहा था कि के. चंद्रशेखर राव नीत पार्टी को दलबदल पर बात करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है क्योंकि बीआरएस ने भी सत्ता में रहने के दौरान दूसरे दलों के विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल किया था।
पिछले साल हुए 119 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव में बीआरएस को 39 सीट मिली थी जबकि कांग्रेस 64 सीट पर जीत दर्ज कर सत्ता में आई थी। हालांकि, सिकंदराबाद छावनी से निर्वाचित हुईं बीआरएस सदस्य जी लस्या नंदिता की सड़क हादसे में मौत के बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस को जीत मिली और इस प्रकार सदन में उसके सदस्यों की संख्या बढ़कर 65 हो गई।
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