खराब जीवन शैली सहित दूसरे कारणों से महिलाओं में मोटापे के साथ दिल का रोग बढ़ने की आशंका है। इसके रोकथाम के लिए अलग से नीति बनाने की जरूरत है।विशेषज्ञों की माने तो आंकड़े बताते हैं कि भारत में 41.88 फीसदी महिलाएं मोटापे से पीड़ित हैं, जबकि पुरुषों में यह आंकड़ा 38.67 फीसदी है। वहीं नेशनल हार्ट फेल्योर रजिस्ट्री के अनुसार देश में हार्ट फेल्योर से एक साल में 22.1 फीसदी मरीजों की मृत्यु हो जाती है। महिलाओं में यह दर पुरुषों की तुलना में अधिक है।
दिल्ली में हुए हृदय रोग विशेषज्ञों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के सम्मेलन में महिलाओं में मोटापा और हृदय विफलता की समस्या की रोकथाम के लिए नीति बनाने पर सहमति बनी। साथ ही इलाज, जांच और रोकथाम के तरीके महिलाओं के हिसाब से बदलने का सुझाव दिया गया। इस सम्मेलन में दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. पंकज कुमार सिंह ने भी अपनी बात रखी। सम्मेलन में विशेषज्ञों ने कहा कि एक राष्ट्रीय रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इसमें भारत में महिलाओं की हृदय देखभाल के लिए वैज्ञानिक और विशेष दिशा तय की जाएगी।
कार्यक्रम के दौरान डॉ. एचके चोपड़ा ने कहा कि मोटापा अब सिर्फ सुंदरता या जीवनशैली से जुड़ी बात नहीं रही। 41 फीसदी से ज्यादा भारतीय महिलाएं मोटापे की शिकार हैं। यह सिर्फ वजन नहीं है। यह हृदय विफलता, स्ट्रोक और अचानक मृत्यु का कारण बन सकता है। महिलाओं में यह वसा अंदर ही अंदर हार्मोन और शरीर की सूजन को बदल देती है, जो शुरुआती स्टेज में दिखाई नहीं देती।
वहीं डॉ. विवेक कुमार ने कहा कि अब अधिक महिलाएं गंभीर हृदय समस्याओं के साथ अस्पताल पहुंच रही हैं, लेकिन इनके लक्षण आम तौर पर पुरुषों जैसे नहीं होते, जिससे बीमारी की पहचान देर से होती है।
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