यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग के एक हिस्से के ढहने से पिछले 92 घंटों से अधिक समय से उसके अंदर फंसे 40 श्रमिकों को बाहर निकालने के प्रयासों में भूस्खलन और तकनीकी कारणों से पड़ी अड़चन के बाद बुधवार को दिल्ली से विमानों के जरिए एक भारी ऑगर मशीन चिन्यालीसौड़ लाई गई। इस मशील के आने के बाद श्रमिकों के रेस्क्यू का मिशन तेज होने की उम्मीद की जा रही है। इस कार्य को लेकर अधिकारियों की ओर से तैयारी पूरी की गई है।
मंगलवार की रात को हुए ताजा भूस्खलन के कारण मलबे में बड़े व्यास के माइल्ड स्टील पाइप डालकर ‘एस्केप टनल’ बनाने के लिए की जा रही ड्रिलिंग को रोकना पड़ा था। इसके बाद ड्रिलिंग के लिए स्थापित की गयी ऑगर मशीन भी खराब हो गई। इससे बचाव कार्य में बाधा आई। हालांकि, सुरंग में फंसे श्रमिकों से निर्माण एजेंसी के अधिकारी लगातार संपर्क में हैं। वहां पर ऑक्सीजन और खाने की उपलब्धता कराई जा रही है।
उत्तराखंड सुरंग हादसे में फंसे लोगों को निकालने के लिए भारी ड्रिलिंग मशीन मंगाई जा रही है। इसको लेकर उत्तरकाशी के पुलिस अधीक्षक अर्पण यदुवंशी ने कहा कि भारी ऑगर ड्रिलिंग मशीन को दो हिस्सों में दिल्ली से भारतीय वायुसेना के हरक्यूलिस विमानों से चिन्यालीसौड़ हवाईअडडे पहुंचा दिया गया है। उन्होंने कहा कि यहां से इसे सड़क मार्ग से सिलक्यारा लाया जाएगा। उन्होंने बताया कि सिलक्यारा पहुंचते ही इसके दोनों हिस्सों को जोड़ा जाएगा और फिर इसे सुरंग के अंदर प्लेटफार्म पर रखकर ड्रिलिंग शुरू की जाएगी।
पुलिस अधीक्षक अर्पण यदुवंशी ने कहा कि श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने की कवायद तेजी से की जा रही है। एनएचआईडीसीएल के निदेशक अंशु मनीष खलखो ने मौके पर बताया कि करीब 25 टन की अत्याधुनिक और भारी ऑगर मशीन मंगलवार को सुरंग में स्थापित की गई मशीन की जगह लेगी। इस भारी आगर मशीन की भेदन क्षमता बहुत ज्यादा है। इस मशीन के जरिए एक घंटे में चार- पांच मीटर तक मलबे के अंदर भेदा जा सकता है।
अंशु मनीष खलखो ने कहा कि जैसे ही मशीन आएगी, हम उसे स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू कर देंगे। चार से पांच घंटों में इससे ड्रिलिंग शुरू कर दी जाएगी । इसकी भेदन क्षमता को देखते हुए हमें उम्मीद है कि हम 10 घंटों में 50 मीटर मलबे को भेद सकते हैं। उन्होंने कहा कि फंसे श्रमिकों को बाहर निकाले जाने की सही समय सीमा बताना संभव नहीं है लेकिन हमारा प्रयास जल्द से जल्द उन्हें बाहर लाने का रहेगा। अधिकारी ने कहा कि सभी श्रमिक सुरक्षित हैं और बचावकर्मियों का उनसे लगातार संपर्क बना हुआ है।
उत्तरकाशी सुरंग हादसे में पिछले तीन दिनों से अधिक समय से फंसे श्रमिकों के परिजन अब अपना धैर्य खोते जा रहे हैं। श्रमिकों को बाहर निकालने के प्रयासों में हो रही देरी के विरोध में उनके परिजनों ने निर्माणाधीन सुरंग के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। मलबे के अंदर ड्रिलिंग कर पाइपों से एस्केप टनल तैयार करने के लिए मंगलवार को स्थापित की गई मशीनों के काम न करने पर उसके स्थान पर कोई वैकल्पिक योजना न होने को लेकर प्रदर्शनकारियों ने अपना गुस्सा जताया ।
घटनास्थल पर जारी बचाव अभियान की जानकारी देते हुए एनएचआइडीसीएल ने कहा गया कि मंगलवार को स्थापित किए गए ड्रिलिंग उपकरण को इसलिए बदला जा रहा है, क्योंकि इसकी काम करने की गति धीमी थी। उसमें किसी प्रकार की खराबी से अधिकारियों ने इनकार किया। अधिकारियों ने कहा कि सुरंग में फंसे सभी श्रमिक सुरक्षित हैं और उन्हें पाइप के जरिए लगातार ऑक्सीजन, पानी, सूखे मेवे सहित अन्य खाद्य सामग्री, बिजली, दवाइयां आदि पहुंचाई जा रही है।
उत्तरकाशी टनल हादसे में फंसे लोगों को निकालने के लिए नॉर्वे और थाईलैंड की स्पेशल टीमों की भी मदद ली जा सकती है। भारतीय रेस्क्यू टीम ने थाईलैंड की उस रेस्क्यू एजेंसी से संपर्क साधा है, जिसने थाईलैंड की गुफा में फंसे बच्चों रेस्क्यू किया था। 23 जून 2018 को थाइलैंड में बच्चे गुफा में फंस गए थे। थाईलैंड की लुआंग गुफा में हुए रेस्क्यू ऑपरेशन को सबसे कठिन की श्रेणी में रखा गया है। इसमें दुनिया के सबसे बेहतरीन गोताखोरों और थाईलैंड के सील कमांडो की मदद ली गई थी। 17 दिनों ऑपरेशन चला औश्र 12 लड़कों और उनके फुटबॉल कोच को सुरक्षित बचाया गया था।
उत्तराखंड में चारधाम प्रोजेक्ट के तहत इस टनल का निर्माण किया जा रहा है। यह टनल ब्रह्मखाल और यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर सिल्क्यारा और डंडलगांव के बीच बनाई जा रही है। रविवार को अचानक टनल धंसने से 40 मजदूर बफर जोन में फंस गए। फंसे हुए मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हैं। उन्हें निकालने के लिए लगातार ऑपरेशन चलाया जा रहा है।
उत्तरकाशी के रेस्क्यू ऑपरेशन में आर्मी और एयरफोर्स की मदद ली जा रही है। टनल के अंदर फंसे 40 लोगों को बचाने के लिए दिल्ली से भारी खुदाई मशीन को एयरलिफ्ट करके मंगाया गया। एयरफोर्स का विमान इसे लेकर आया। टनल के अंदर प्लेटफार्म बनाने की कोशिश की गई। यह मशीन एक घंटे में 4-5 मीटर मलबे में घुस सकती है। सब कुछ ठीक रहा तो 10-12 घंटों में रेस्क्यू टीम पाइप को उस जगह पर पहुंचाने में कामयाब रहेगी, जहां 40 मजदूर फंसे हुए हैं। इस पाइप का व्यास 900 मिलीमीटर है, जो फंसे लोगों को निकालने में कामयाब होगा।
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