अफगानिस्तान में तालिबान ने शुक्रवार को एक ब्रिटिश दंपति को रिहा कर दिया, जिन्हें बीते सात महीने से अज्ञात आरोपों में हिरासत में रखा गया था। यह कदम तालिबान के उस व्यापक प्रयास का हिस्सा माना जा रहा है, जिसके जरिए वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी सरकार को मान्यता दिलाने की कोशिश कर रहा है। रिहा किए गए दंपति के नाम पीटर रेनॉल्ड्स और बार्बी रेनॉल्ड्स हैं। यह दंपति पिछले 18 वर्षों से अफगानिस्तान के बामियान प्रांत में रह रहा था और वहां शिक्षा व प्रशिक्षण से जुड़ा संगठन चला रहा था। 2021 में जब तालिबान ने अमेरिका समर्थित अफगान सरकार को हटाकर सत्ता अपने हाथ में ली थी, तब भी उन्होंने देश छोड़ने के बजाय वहीं रहने का फैसला किया था।
रिहाई में कतर की अहम भूमिका
कतर, जो अमेरिका और तालिबान के बीच हुई शांति वार्ताओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुका है, ने इस बार भी दंपति की रिहाई में मध्यस्थता की। क़तर के एक राजनयिक ने बताया कि शुक्रवार को यह दंपति अफगानिस्तान से रवाना हो गया। उन्होंने यह भी कहा कि मामला संवेदनशील होने के कारण उनकी पहचान गुप्त रखी जा रही है।
परिवार का आरोप और तालिबान का जवाब
रेनॉल्ड्स दंपति के ब्रिटेन में मौजूद परिवार ने लगातार उनकी रिहाई की मांग की थी। परिवार का आरोप था कि उन्हें अमानवीय परिस्थितियों में रखा जा रहा है और उन पर कोई स्पष्ट आरोप नहीं लगाया गया है। तालिबान ने इन आरोपों को खारिज किया, लेकिन अब तक यह स्पष्ट नहीं किया कि दंपति को किस कारण गिरफ्तार किया गया था। जुलाई में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने चेतावनी दी थी कि दंपति का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य तेजी से बिगड़ रहा है और अगर जल्द रिहाई नहीं हुई तो उनकी मौत तक हो सकती है। इस चेतावनी के बाद अंतरराष्ट्रीय दबाव और बढ़ गया था।
तालिबान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव
2021 में सत्ता में आने के बाद से तालिबान पर महिलाओं के अधिकार, मानवाधिकार उल्लंघन और मनमानी गिरफ्तारियों को लेकर लगातार आलोचना होती रही है। पश्चिमी देशों का मानना है कि ऐसे मामले तालिबान सरकार को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिलने में बड़ी बाधा बनते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि रेनॉल्ड्स दंपति की रिहाई तालिबान का एक सकारात्मक संदेश देने का प्रयास हो सकता है, ताकि दुनिया के साथ उसके रिश्ते सुधर सकें।
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