जनकपुरी स्थित रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) में दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) लोगों को सीवेज मिश्रित पेयजल की आपूर्ति कर रहा है। यह आरोप आवेदक ए-1 ब्लॉक की आरडब्ल्यूए ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) में दायर अपनी याचिका में लगाया है।
न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल, न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य अफरोज अहमद भी पीठ में शामिल रहें। एनजीटी ने 8 अप्रैल को सीपीसीबी को आदेश दिया था कि प्रभावित क्षेत्र से 10 घरों से नल के पानी के नमूने एकत्र करे और अगली सुनवाई की तारीख से पहले नमूने की जांच रिपोर्ट दाखिल करें।
एक निवासी को हेपेटाइटिस ए और ई बीमारी हुई
आवेदक ने दलील दी कि 29 अप्रैल को सीपीसीबी की ओर से लिए गए नमूने डीजेबी केे एक दिन पहले उठाए गए कदमों के कारण उचित परिणाम नहीं देगा। इसके लिए उनकी ओर से तर्क दिया गया कि नमूने लेने से पहले सीपीसीबी ने डीजेबी के अधिकारियों को सूचित कर दिया था। आवेदक के वकील ने आरोप लगाया कि 27-28 अप्रैल को डीजेबी के अधिकारियों ने परीक्षण के परिणामों में पानी की गुणवत्ता में हेरफेर करने, सीवर लोड को कृत्रिम रूप से कम करने और क्रॉस संदूषण को अस्थायी रूप से दबाने के लिए सुपर सक्शन मशीन लगाकर गाद निकालने का काम किया था। ऐसे में ये नमूने सही स्थिति को नहीं दर्शा सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि क्षेत्र के एक निवासी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था और जांच रिपोर्ट में पाया गया कि वह हेपेटाइटिस ए और ई से पीड़ित था।
डीजेबी के एक अधिकारी ने किया स्वीकार, नमूना अयोग्य
सीपीसीबी के वकील ने अदालत को बताया कि नमूना विश्लेषण रिपोर्ट अभी तक नहीं मिली है। लोगों के लिए अनुपयुक्त पेयजल की आपूर्ति बहुत गंभीर मामला है, लेकिन इतनी गंभीरता को नजरअंदाज करते हुए डीजेबी ने कार्रवाई नहीं की। आवेदक ने पेन ड्राइव में मौजूद उक्त वीडियो सुनवाई के दौरान खुली अदालत में चलाई, जिसमें नमूना लेने वाले डीजेबी के एक अधिकारी ने स्वीकार किया कि नमूना अयोग्य था। ऐसे में अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख पर डीजेबी के संबंधित मुख्य अभियंता को अदालत में हाजिर होने के लिए कहा।
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