नई दिल्ली। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा बनवाया गया INSAT-3DS सैटेलाइट 17 फरवरी 2024 को लॉन्च होगा। लॉन्चिंग GSLV रॉकेट से शाम साढ़े बजे श्रीहिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर होगी। इस सैटेलाइट को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GRO) तैनात किया जाएगा। रॉकेट की असेंबलिंग का काम शुरू हो चुका है। सैटेलाइट को रॉकेट के आखिरी स्टेज यानी नोज में रख दिया गया है
इस सैटेलाइट का मुख्य उद्देश्य जमीन, समंदर, मौसम और इमरजेंसी सिग्नल सिस्टम की जानकारी मुहैया कराना है। इसके अलावा यह राहत एवं बचाव कार्यों में भी मदद करेगा। इनसैट-3 सीरीज के सैटेलाइट में छह अलग-अलग प्रकार के जियोस्टेशनरी सैटेलाइट्स है। यह सातवीं सैटेलाइट है।
इनसैट सीरीज के पहले की सभी सैटेलाइट्स को साल 2000 से 2004 के बीच लॉन्च किया गया था। जिससे संचार, टीवी ब्रॉडकास्ट और मौसम संबंधी जानकारियां मिल रही थीं। इन सैटेलाइट्स में 3ए, 3डी और 3डी प्राइम सैटेलाइट्स के पास मौसम संबंधी आधुनिक यंत्र लगे हैं।
ये सभी सैटेलाइट्स भारत और उसके आसपास मौसमी बदलावों की सटीक और समय से पहले जानकारी देते हैं। इनमें से हर एक सैटेलाइट ने भारत और उसके आसपास के इलाकों में संचार तकनीक और मौसम संबंधी तकनीकों को विकसित करने में मदद की है।
इन सैटेलाइट्स को भूमध्यरेखा के ऊपर तैनात किया जाता है, जिससे ये भारतीय इलाकों पर बारीक नजर रख पाते हैं। इस सैटेलाइट को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (Ministry of Earth Sciences) ने फंडिंग की है। इस सैटेलाइट का वजन 2275 किलोग्राम है। इस सैटेलाइट में 6 चैनल इमेजर हौं। 19 चैनल साउंडर मेटियोरोलॉजी पेलोड्स मौजूद हैं।
इन सैटेलाइट्स का संचालन इसरो के साथ-साथ भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) करता है। ताकि लोगों को प्राकृतिक आपदाओं के आने से पहले ही जानकारी दी जा सके। उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा सके। इसरो की इस साल यह दूसरी सैटेलाइट लॉन्चिंग होगी। पहले इसे जनवरी में लॉन्च किया जाना था। लेकिन बाद में इसे रीशेड्यूल किया गया।
No Comments: