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हुकमचंद मिल के मजदूरों का केस लड़ने वाले वकीलों को सरकार ने दी 6 करोड़ 54 लाख रुपये फीस

इंदौर। हाई कोर्ट के आदेश के बाद हुकमचंद मिल मामले का पटाक्षेप हो चुका है। मिल के देनदारों के खाते में पैसा भी पहुंच गया है। मिल के 5895 मजदूरों को भुगतान करने के लिए परिसमापक के खाते में 217 करोड़ 86 लाख रुपये की रकम मप्र गृह निर्माण मंडल ने जमा करा दी है।

 

मजदूरों की जेब में पैसा भले ही अब तक नहीं पहुंचा, लेकिन गरीब मजदूरों की पैरवी करने वाले वकीलों के खाते में पैसा जरूर पहुंच गया है। वह भी थोड़ा बहुत नहीं बल्कि करोड़ों में। मप्र गृह निर्माण मंडल ने भारतीय स्टेट बैंक की स्ट्रेस्ड असेट मेनेजमेंट शाखा भोपाल के डिप्टी जनरल मैनेजर को वकीलों के खाते में पैसा ट्रांसफर करने के लिए पत्र लिख दिया है।

 

परिसमापक की ओर से पैरवी करने वाले एडवोकेट गिरीष पटवर्धन और गरीब मजदूरों की ओर से पैरवी करने वाले एडवोकेट धीरजसिंह पवार दोनों के खाते में कुल छह करोड़ 54 लाख रुपये जमा कराए गए हैं। इसमें से तीन करोड़ 27 लाख रुपये एडवोकेट पटवर्धन और तीन करोड़ 27 लाख रुपये की रकम एडवोकेट धीरजसिंह पवार के खाते में ट्रांसफर की गई है।

 

मजदूर नेता नरेंद्र श्रीवंश ने बताया कि यह बहुत अच्छा हुआ है कि वकीलों की फीस का भुगतान शासन ने कर दिया। अगर ऐसा नहीं होता तो मजदूरों को मुआवजे की रकम में से भुगतान करना पड़ता। केस दायर करते वक्त वकीलों से कुल मुआवजे का तीन-तीन प्रतिशत फीस देना तय हुआ था। मजदूर भी इस पर सहमत थे। शासन द्वारा भुगतान करने के बाद अब मजदूरों को वकील फीस नहीं देना होगी। कोर्ट ने बैंक और अन्य देनदारों के वकीलों को भी इसी तरह फीस भुगतान का आदेश दिया है।

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