NGT: सड़क किनारे कंक्रीट बिछाने में यूपी मॉडल की एनजीटी ने की सराहना, देश के बाकी राज्यों को इसे अपनाने को कहा
अदालत ने कहा कि बड़े पैमाने पर कंक्रीटीकरण से मिट्टी की परत बढ़ जाती है, जिससे भूजल स्तर में कमी आती है। यह पारिस्थितिकी तंत्र, मिट्टी के पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाकर जैव विविधता को प्रभावित करता है।
सड़क किनारे कंक्रीट बिछाने पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश मॉडल को सराहा है। कोर्ट ने कहा कि देश के बाकी राज्यों को तत्काल इसे अपनाना चाहिए। क्योंकि सड़कों के किनारे पेड़ों के मौजूदा हालात दयनीय हैं। राज्यों में नियम बनने तक कंक्रीटीकरण पर तत्काल रोक लगानी चाहिए।
अदालत ने कहा कि बड़े पैमाने पर कंक्रीटीकरण से मिट्टी की परत बढ़ जाती है, जिससे भूजल स्तर में कमी आती है। यह पारिस्थितिकी तंत्र, मिट्टी के पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाकर जैव विविधता को प्रभावित करता है। न्यायिक सदस्य सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य अफरोज अहमद की पीठ नोएडा और ग्रेटर नोएडा में सड़कों के किनारे और खुले स्थानों पर बड़े पैमाने पर कंक्रीटीकरण के खिलाफ याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
21 मई को आदेश में कोर्ट ने कहा कि कंक्रीटीकरण से हीट आइलैंड द्वीप बनते हैं, जो गर्मी को वापस वायुमंडल में परावर्तित करते हैं, जिससे हानिकारक दीर्घ-तरंग अवसंरचना विकिरण, जलवायु वार्मिंग होती है।
बारिश के पानी की निकासी की हो व्यवस्था
अधिकरण ने अपने आदेश में सड़क के किनारों के निर्माण के लिए भी निर्देश जारी किए हैं, जिसमें कहा गया है कि केवल छिद्रित ब्लॉक, फ्लाई ऐश ईंट व पत्थर आदि का उपयोग सड़कों के दोनों ओर फुटपाथ किनारों पर अधिकतम 0.50 मीटर चौड़ाई तक किया जाना चाहिए। जहां फुटपाथ के साथ सड़कें प्रस्तावित हैं, वहां फुटपाथ पर केवल छिद्रित टाइल, फ्लाई ऐश ईंट व पत्थर का उपयोग किया जाना चाहिए। बारिश के पानी की निकासी की व्यवस्था होनी चाहिए।
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