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दुबई से जुड़े हैं तार: गेमिंग एप्स पर प्वाइंट हासिल करने के लिए सिम कार्ड की अवैध खरीद में शामिल पांच गिरफ्ता

आरोपी दुबई के एक एजेंट के संपर्क में थे जो सिम कार्ड को गेमिंग ऐप्स में प्वाइंट एकत्र करने के लिए इस्तेाल करता था। पुलिस ने आरोपियों को 398 सक्रिय भारतीय सिम कार्ड की अवैध खरीद और विदेश में सिम कार्ड की तस्करी में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया है।

दिल्ली पुलिस ने साइबर और टेलीकॉम अपराध नेटवर्क का खुलासा किया है। मामले में मध्यप्रदेश के रहने वाले पांच युवकों को गिरफ्तार किया गया है। आरोपी दुबई के एक एजेंट के संपर्क में थे जो सिम कार्ड को गेमिंग ऐप्स में प्वाइंट एकत्र करने के लिए इस्तेाल करता था। पुलिस ने आरोपियों को 398 सक्रिय भारतीय सिम कार्ड की अवैध खरीद और विदेश में सिम कार्ड की तस्करी में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया है। आरोपियों की पहचान उज्जैन के रहने वाले अंकित कुमावत (30) और देवास के रहने वाले अश्विन कुमार (37),मनीष कुमार (35), लोकेन्द्र सेंधव (32) और द्वारका प्रसाद (42) के रूप में की गई है। पुलिस अन्य आरोपियों की तलाश कर रही है।

15 फरवरी 2025 को, आईजीआई हवाई अड्डे के टर्मिनल 3 पर केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के अधिकारियों ने दुबई जाने वाली इंडिगो उड़ान में यात्रा करने वाले सुनील रावत को संदिग्ध व्यवहार और रैंडम एक्स-रे जांच के आधार पर रोका। जांच में उनके पास 398 सक्रिय भारतीय सिम कार्ड (212 एयरटेल और 186 वोडाफोन आइडिया) मिले, जो विभिन्न व्यक्तियों के नाम पर पंजीकृत थे। जांच के दौरान सुनील रावत ने बताया कि उसके स्कूल के दोस्त फैसल ने उसे सिम कार्डों का पार्सल लाने और नौकरी का अवसर देने के लिए 35,000 रुपये की पेशकश की थी। फैसल के सहयोगी, अश्विन कुमार और अंकित कुमावत ने उज्जैन से सक्रिय सिम कार्डों की व्यवस्था की और उन्हें कूरियर के माध्यम से गाजियाबाद में सुनील रावत को भेजा। सुनील को इन्हें दुबई में फैसल तक पहुंचाने का निर्देश था, लेकिन वह दिल्ली हवाई अड्डे पर पकड़ा गया।
एक महीने की फ्री सेवा का झांसा देकर लोगों के नाम पर जारी कराए सिम
जांच से पता चला कि ये सिम कार्ड उज्जैन और देवास जिलों के विभिन्न व्यक्तियों से धोखाधड़ी के जरिए प्राप्त किए गए थे। दो पंजीकृत मालिकों, पवन भगवान और महेश, ने बताया कि अंकित कुमावत ने उन्हें मुफ्त डेटा और कॉल सेवाओं के प्रचारात्मक ऑफर का झांसा देकर सिम कार्ड अपने नाम पर जारी करने के लिए कहा। कुमावत ने उन्हें एक महीने बाद सिम कार्ड लौटाने और निष्क्रिय करने का आश्वासन दिया था, लेकिन इसके बजाय उसने उन्हें 500 रुपये प्रति सिम की दर से अश्विन कुमार को बेच दिया।

दुबई से जुड़े हैं तार, गेमिंग ऐप में सिम का होना था इस्तेमाल
अश्विन कुमार ने पूछताछ में अपनी संलिप्तता स्वीकार की। उसने बताया कि उसके छोटे भाई मनीष कुमार, जो दुबई में एक टेलीकॉम दुकान में काम करता है, ने उसे फैसल से जोड़ा। फैसल ने प्रत्येक सिम कार्ड के लिए 2,000 रुपये की पेशकश की थी। अश्विन ने अंकित कुमावत की मदद से 398 सिम कार्ड जुटाए और प्रत्येक के लिए 500 रुपये का भुगतान किया। उसने बताया कि फैसल इन सिम कार्डों का उपयोग विभिन्न गेमिंग ऐप्स में अंक अर्जित करने और उन्हें ऊंची कीमत पर बेचने के लिए करता था।

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