header advertisement

विश्व अभिभावक दिवस: समय के साथ बदले परवरिश के तरीके… नैनी कर रही बच्चों की देखरेख, CCTV से हो रही निगरानी

अभिभावकों का मानना है कि परिवार की कमी काफी खलती है। घर से दूर बच्चों को पालना आसान काम नहीं है,लेकिन मजबूरी में उन्हें बाहर से सहयोग लेना पड़ता है। बच्चों के साथ कम समय व्यतीत कर पाते हैं।

ग्रेटर नोएडा वेस्ट में रहने वाले अनुज शर्मा और रिया शर्मा दो साल की बेटी के अभिभावक हैं। दोनों ही मल्टीनेशनल कंपनी में काम करते हैं। अनुज यूपी के लखनऊ से और दिप्ती बिहार के मुजफ्फपुर से आती हैं। दोनों अकेले रहते हैं। जब बच्ची हुई तो उसकी देखभाल करते हुए नौकरी से सामांजस्य बिठाना एक बड़ी चुनौती थी।

पहले एक साल रिया ने ब्रेक लिया और पूरा ध्यान बच्ची पर दिया, लेकिन अब ज्यादा लंबा ब्रेक कॅरिअर के लिए लिहाज से ठीक नहीं था और बच्ची भी थोड़ी बड़ी हो गई थी। उन्होंने दोबारा आफिस शुरू करने का निर्णय लिया और बच्ची की देखभाल के लिए एक नैनी रखी। साथ ही अतिरिक्त निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरा भी लगवाया, क्योंकि बच्ची को पूरी तरह अंजान इन्सान के भरोसे छोड़ना इतना भी आसान नहीं था।
आज की एकल परिवार संस्कृति और कामकाजी दौर में यह दुविधा सिर्फ अनुज और रिया की नहीं है, बल्कि दिल्ली एनसीआर में रह रहे लाखों युवा दंपतियों की है। यही कारण है कि अब बच्चों की परवरिश के भी तरीके बदल रहे हैं। अभिभावकों के कामकाजी होने के कारण बच्चों की निगरानी सीसीटीवी ने ले ली है। कैंच, नैनी और डे बोडिंग स्कूल अभिभावकों के लिए मददगार साबित हो रहे हैं। अभिभावकों का मानना है कि परिवार की कमी काफी खलती है। घर से दूर बच्चों को पालना आसान काम नहीं है,लेकिन मजबूरी में उन्हें बाहर से सहयोग लेना पड़ता है। बच्चों के साथ कम समय व्यतीत कर पाते हैं। उन्हें कभी-कभी लगता है कि नौकरी ने उन्हें बच्चों से दूर कर दिया है, लेकिन वह मानते हैं कि तकनीकी ने काफी सुविधाएं भी दी हैं।

बच्चों के लिए निकालना होगा समय
अभिभावकों का कहना है कि अच्छे अभिभावक तभी साबित होंगे तो जब बच्चों का लालन-पालन अच्छे से होगा। उनकी देखभाल में कोई दिक्कत नहीं होगी। बच्चे, माता-पिता की पूंजी होते हैं। हर मां-बाप चाहते हैं कि उनके बच्चे की परवरिश अच्छे से हो। ऐसे में माता-पिता को बच्चों के लिए भरपूर वक्त निकालना चाहिए। अभिभावकों को बच्चों के प्रति केयरिंग, लविंग होना चाहिए। अगर माता-पिता संवेदनशील होंगे तो बच्चों को बेहतर परवरिश दे पाएंगे।

दादा-दादी भी अहम
बच्चों के साथ हमेशा संपर्क में रहना जरूरी है। काम के चलते कई अभिभावक बच्चों को समय नहीं दे पाते हैं, लेकिन हमें समय निकालना होगा। बच्चों के पालन पोषण में परिवार की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। दादा, दादी भी बच्चों के लिए उतने ही अहम होते है, जितने की माता पिता। तकनीकी ने भी अभिभावकों की काफी मदद की है। वह कहीं भी हो बच्चों से जुड़ रहे हैं। -शुभ्रा सिंह, अभिभावक

अभिभावकों की कई भूमिका होती है। उन्हें घर के बुजुर्गों को भी देखना होता है। बच्चों पर भी नजर रखनी है। काम करने के लिए भी जाना है। उसके बाद भी वह सभी जिम्मेदारी का पालन कर रहे हैं। डे बोड़िग स्कूल से भी उन्हें काफी मदद मिल रही है। महिलाओं के साथ पुरुषों की जिम्मेदारियां बढ़ गई हैं। वह बच्चों के लिए समय दे रहे हैं। -रीमा मिश्रा, अभिभावक

No Comments:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

sidebar advertisement

National News

Politics