राजधानी के व्यापारियों का दावा है कि पुराने वाहनों पर कार्रवाई के कारण इनके दामों में 50 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई है।
चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री के चेयरमैन और ऑटोमोबाइल व्यवसायी बृजेश गोयल ने शुक्रवार को कहा कि अभियान का सीधा असर करीब 60 लाख वाहनों पर पड़ा है। इससे कारों के व्यापार में भारी गिरावट आई है।
इनके दाम तेजी से नीचे आए हैं। पांच दिनों में पुरानी कारों के दाम में 40 से 50 प्रतिशत कमी आई है। पेट्रोल पंपों पर आयु सीमा पार कर चुके वाहनों पर कार्रवाई से अफरातफरी की स्थिति बनी हुई है। दिल्ली से पंजाब, राजस्थान, यूपी, बिहार, तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल सहित अन्य राज्यों में पुरानी कारें जाती हैं।
करोल बाग, प्रीत विहार, पीतमपुरा, मोती नगर व अन्य इलाकों में एक हजार से ज्यादा व्यापारी पुरानी कारों की खरीद-फरोख्त करते हैं। इन व्यापारियों का कहना है कि जो कार पहले 6-7 लाख रुपये में बिकती थी, उसके दाम 3 से 4 लाख रुपये तक ही मिल रहे हैं।
कार डीलरों का आरोप है कि दिल्ली में चलने वाले वाहनों की अवधि पूरी होने पर दूसरे राज्यों में बेचने पर परिवहन विभाग से एनओसी आसानी से मिल जाती थी, लेकिन अब परेशानी आ रही है।
भाजपा ने लिया था पुरानी गाड़ियों को हटाने का फैसला : आप
नई दिल्ली। सड़कों से पुरानी गाड़ियां हटाने के मामले में आप ने भाजपा पर निशाना साधा है। आरोप है कि सरकार कोर्ट के आदेश का बहाना बना रही है।
शुक्रवार को प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली में सरकार बनते ही भाजपा ने पुरानी गाड़ियों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला ले लिया था। फरवरी में शपथ ली और एक मार्च को पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने घोषणा कर दी कि 31 मार्च के बाद पुरानी गाड़ियों को ईंधन नहीं मिलेगा।
हालांकि, इसे लागू एक जुलाई से किया गया। भाजपा ने पहले ही ऑटोमोबाइल कंपनियों से मिलीभगत कर ली थी और करोड़ों रुपये का फायदा पहुंचाने के लिए आदेश जारी किया, ताकि दिल्ली के 61 लाख लोग नई गाड़ी खरीदने के लिए मजबूर हो जाएं।
दिल्लीवालों की एकजुटता के कारण भाजपा सरकार को झुकना पड़ा। आप ने एक जिम्मेदार विपक्ष की भूमिका निभाते हुए लगातार इस आदेश का विरोध किया।
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