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AI Censorship: अब AI चैटबॉट नहीं चुरा पाएंगे डिजिटल कंटेंट, Cloudfare ने एआई कंपनियों पर कसी नकेल

Cloudflare ने AI कंपनियों द्वारा बिना इजाजत कंटेंट स्क्रैपिंग को रोकने के लिए बड़ा कदम उठाया है। कंपनी ने डिफॉल्ट रूप से AI स्क्रैपर्स को ब्लॉक करने का फैसला किया है। इस फैसले को दुनियाभर के छोटे-बड़े कंटेंट पब्लिशर्स का समर्थन मिल रहा है। वहीं, अब इसकी मांग भारत में भी

अगर आप ChatGPT से कोई सवाल पूछते हैं तो वह उसका जवाब वेबसइट्स पर उपलब्ध जानकारियों से जुटाता है। ChatGPT ही नहीं, बल्कि Gemini से लेकर Meta तक, लगभग सभी एआई बॉट्स आपके सवालों के जवाब देने के लिए इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारियों का सहारा लेते हैं। इन जानकारियों को इंटरनेट पर मीडिया पब्लिकेशन या वेबसाइट द्वारा उपलब्ध कराया जाता है। एआई चैटबॉट्स इतनी तेजी से जवाब इसलिए दे पाते हैं, क्योंकि उन्हें इंटरनेट पर यह जानकारी मुफ्त में बिना किसी झंझट के वेबसाइट्स के माध्यम से मिल जाती है। लेकिन इस प्रक्रिया में उन वेबसाइट्स को चलाने वाले पब्लिशर्स को कोई फायदा नहीं होता, बल्कि एआई के चलते वेबसाइट्स पर वीजिटर्स के न आने से उल्टा उन्हें नुकसान हो जाता है। आपका काम आसान बनाने वाले एआई चैटबॉट्स पर दुनियाभर में कॉपिराइट कंटेंट पॉलिसी को तोड़ने और डेटा की बिना इजाजत स्क्रैपिंग करने के आरोप लगते रहे हैं। लेकिन अब एआई कंपनियों का यह खेल ज्यादा समय तक नहीं चलने वाला है।

चैटबॉट्स को फ्री में नहीं मिलेगा डेटा
हाल ही में इंटरनेट इंफ्रास्ट्रक्चर मुहैया कराने वाली दिग्गज कंपनी क्लाउडफ्लेयर (Cloudflare) ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) स्क्रैपर्स को डिफॉल्ट रूप से ब्लॉक करने का फैसला किया है। इस कदम को इंटरनेट की दुनिया में एआई कंटेंट सेंसरशिप में शुरूआती पहल के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें वेबसाइट मालिकों को अपने कंटेंट पर पूरा नियंत्रण मिलेगा। कंपनी ने कंटेट यूज करने की अनुमति नहीं लेने वाले और उचित मुआवजा नहीं देने वाले AI स्क्रैपर्स के डोमेन को रोकने की बात कही है।
इस फैसले को दुनियाभर के बड़े मीडिया संस्थानों का समर्थन भी मिला है। इस मुहिम में एसोसिएडेड प्रेस, द एटलांटिक, बजफीड, कोंडे नास्ट, डीएमजीटी, फॉर्च्यून, द इंडिपेंडेंट, स्काई न्यूज और टाइम जैसे प्रमुख पब्लिशर्स का समर्थन प्राप्त हुआ है।
वेबसाइट मालिक का होगा कंटेंट पर पूरा कंट्रोल
क्लाउडफेयर के मुताबिक, वेबसाइट मालिक यह तय कर सकते हैं कि वे किन एआई बॉट्स को अपनी वेबसाइट पर उपलब्ध डेटा तक पहुंच देना चाहते हैं और किस उद्देश्य के लिए। मसलन, यदि किसी पब्लिकेशन ने OpenAI के साथ साझेदारी की है तो वे केवल GPTBot को ही अनुमति दे सकते हैं, बाकी सभी को ब्लॉक कर सकते हैं।

एआई स्क्रैपर्स को अब यह स्पष्ट करना होगा कि वे किस उद्देश्य से डाटा इकट्ठा कर रहे हैं, चाहे वह ट्रेनिंग के उद्देश्य से हो, वास्तविक उपयोग के लिए हो या फिर सर्च इंजन के लिए। इससे पब्लिकेशन को यह तय करने में आसानी होगी कि किसे एक्सेस दिया जाए और किसे नहीं।

कंपनी की रिपोर्ट के मुताबिक, मई 2025 में OpenAI का GPTBot सबसे ज्यादा स्क्रैपिंग करने वाला AI बॉट रहा, जिसकी हिस्सेदारी 30% रही। वहीं, एन्थ्रोपिक का ClaudeBot 21%, मेटा एक्सटर्नल एजेंट 19%, अमेजनबॉट 11% और बाइटडांस से जुड़े Bytespider ने 7.2% सक्रैपिंग की। 2024 में Bytespider की हिस्सेदारी 42% थी, जो अब काफी कम हो गई है।

भारत में भी तेज हुई कानून की मांग
अमेरिका और ब्रिटेन में पत्रकारिता कंटेंट की AI स्क्रैपिंग पर रोक के बाद अब भारतीय डिजिटल पब्लिशर्स ने भी निष्पक्ष रेवेन्यू शेयरिंग और सख्त कानूनों की मांग तेज कर दी है। भारत में डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन (DNPA) समेत कई संगठन इसे “डेटा चोरी” करार देते हुए सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है। DNPA के प्रवक्ता ने कहा, “जब पूरी दुनिया कंटेंट की अनुमति और भुगतान के महत्व को समझ रही है, तब भारतीय पत्रकारिता सामग्री को अब भी बिना किसी संवाद या नियंत्रण के स्क्रैप किया जा रहा है। सरकार को तत्काल आवश्यक कदम उठाने चाहिए।”

भारत में फिलहाल इसे लेकर न कोई स्पष्ट कानून है और न ही कोई तकनीकी ढांचा, जिससे पब्लिशर्स AI स्क्रैपिंग से खुद को बचा सकें। DNPA और अन्य संगठनों ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (MIB) के सामने कुछ मांगें रखी हैं, जैसे बगैर अनुमति AI स्क्रैपिंग को कॉपीराइट उल्लंघन माना जाए, कंटेंट ट्रेनिंग के लिए ‘सहमति आधारित एक्सेस’ को अनिवार्य किया जाए और भारत में AI के लिए लाइसेंसिंग मॉडल विकसित करने जैसी मांगें रखी गई हैं।

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