मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने 1984 दंगे में मारे गए लोगों के परिवारों को नौकरी का ज्वाइनिंग लेटर दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस तरह से दंगों में कत्लेआम हुआ, सबने दुख झेलकर आज तक धीरज रखा। अब ऐसे 125 परिवारों को नौकरी देने का निर्णय लिया, इनमें से 19 आज से ज्वाइन कर रहे हैं।
इसी तरीके से कोविड में मरने वालों के लिए भी कमेटी बनाकर उनके परिजनों को राहत देंगे। इमरजेंसी के दौरान जेलों में रहे लोगों और स्वतंत्रता सेनानियों को भी हम पेंशन देंगे। दंगा पीड़ितों को नौकरी मिलने में देरी हुई, इसके लिए दिल्ली की मुख्यमंत्री होने के नाते रेखा गुप्ता ने सबसे छमा मांगी।
कैबिनेट मंत्री मंजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि 1984 दंगे में मारे गए, उनके परिजनों को नौकरी देने के लिए कमेटी बैठी, नौकरी देने का निर्णय लिया गया था। इससे पहले किसी भी सरकार ने इसपर ध्यान नहीं दिया। चालीस साल तक संघर्ष करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में परिवारों को नौकरी देने का निर्णय लिया गया। इसके लिए दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने लंबी लड़ाई लड़ी। हरमीत सिंह कालका के नेतृत्व में संघर्ष किया गया।
इस दौरान हरमीत सिंह कालका ने मुख्यमंत्री को बताया कि एलजी ने 125 को नौकरी देने का निर्देश दिया था। इनमें से बहुत से लोग ऐसे हैं, जिनकी 40 साल बाद उम्र बीत गई है। उनके बच्चों को नौकरी दी जाए, मुख्यमंत्री ने इस पर उचित निर्णय लेने का आश्वासन दिया।
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