बेंगलुरु। कर्नाटक हाईकोर्ट ने ‘सी कृष्णैया चेट्टी एंड कंपनी प्राइवेट लिमिटेड’ के निदेशक सी. गणेश नारायण और उनकी पत्नी के खिलाफ एक आपराधिक मामले को रद्द करने से इनकार कर दिया है। कंपनी के एक कर्मचारी ने दंपति पर मिर्च स्प्रे का उपयोग करने का आरोप लगाया है। साथ ही अन्य सुरक्षाकर्मियों के साथ याचिकाकर्ताओं की संपत्ति में हस्तक्षेप करने का प्रयास करने का आरोप है।
न्यूज के मुताबिक, जस्टिस एम नागाप्रसन्ना की सिंगल बेंच ने आरोपी दंपति की याचिका खारिज कर दी और कहा, “दूसरी याचिकाकर्ता निजी बचाव के रूप में काली मिर्च स्प्रे का इस्तेमाल नहीं कर सकती थी, क्योंकि प्रथम दृष्टया उसके जीवन को कोई आसन्न खतरा या खतरा नहीं था। इसलिए, मौजूदा मामले में कम से कम जांच की आवश्यकता होगी।”
रिपोर्ट के अनुसार, शिकायतकर्ता राजदीप दास कंपनी का कर्मचारी है। इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से दावा किया गया कि 21-01-2023 को विनोद हयाग्रीव नामक व्यक्ति ने प्रथम याचिकाकर्ता के खिलाफ निषेधाज्ञा मुकदमा दायर किया, ताकि याचिकाकर्ता को किसी भी बदलाव, दीवारों, विभाजनों और संपत्ति पर अन्य तरह के निर्माण से रोका जा सके।
अभियोजन पक्ष की ओर से यह कहा गया कि संबंधित न्यायालय ने अपने आदेश दिनांक 28-03-2023 के संदर्भ में सभी पक्षों के खिलाफ अंतरिम निषेधाज्ञा दी है। 07-04-2023 को अंतरिम आदेश प्राप्त करने के बाद विनोद हयाग्रीव ने याचिकाकर्ताओं के संपत्ति पर लगे गेट को बाधित करने के लिए दीवार बनाने का प्रयास किया। इसके बाद ही दोनों के बीच विवाद पैदा हुआ और मामला बिगड़ता नजर आ रहा है।
याचिकाकर्ताओं ने यह आरोप लगाया कि 29-04-2023 को, जब विनोद हयाग्रीव के कर्मचारियों ने याचिकाकर्ताओं की संपत्ति में हस्तक्षेप करने का प्रयास किया, तो उन्होंने काली मिर्च स्प्रे का उपयोग करके मौखिक और शारीरिक दोनों तरह से लड़ाई की। इसके बाद आईपीसी की धारा 323, 324, 341, 427, 504, 506 और 34 के तहत अपराध दर्ज किया गया।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि उन्हें अपने बचाव में काली मिर्च स्प्रे का उपयोग करने के लिए मजबूर किया गया था और यह आईपीसी की धारा 100 के तहत संरक्षित है। याचिका में यह भी कहा गया कि उन्हें ऐसा इसलिए करना पड़ा क्योंकि दूसरे प्रतिवादी और अन्य सुरक्षा कर्मियों ने याचिकाकर्ताओं की संपत्ति में हस्तक्षेप करने का प्रयास किया था और दूसरी याचिकाकर्ता के घुटने में चोट लग गई थी और इसलिए, याचिकाकर्ताओं ने भी एक शिकायत दर्ज की।
इस दलील पर विचार करते हुए कि काली मिर्च स्प्रे का उपयोग उक्त निजी बचाव के लिए किया गया है, यह कहा गया कि काली मिर्च स्प्रे का उपयोग खतरनाक हथियार के रूप में नहीं किया जाता है, यह आईपीसी की धारा 324 के तहत अपराध है। अदालत ने कहा, “इस देश में किसी भी कानून द्वारा काली मिर्च स्प्रे के खतरनाक हथियार के उपयोग के संबंध में कोई निर्धारण नहीं किया गया है। लेकिन, संयुक्त राज्य अमेरिका की एक अदालत ने पीपुल्स बनाम सैंडल 84 एन.वाई.एस. 3डी 340 (एन.वाई. सुपर.सीटी.2018) ने माना है कि काली मिर्च स्प्रे जैसे हानिकारक रासायनिक स्प्रे खतरनाक हथियार है।
वहीं, मामले में शीर्ष अदालत के एक फैसले पर भरोसा करते हुए अदालत ने कहा, “याचिका खारिज करने योग्य है और तदनुसार खारिज की जाती है। इसके साथ ही यह स्पष्ट किया जाता है कि आदेश के दौरान की गई टिप्पणियां केवल सीआरपीसी की धारा 482 के तहत याचिकाकर्ताओं के मामले पर विचार करने के उद्देश्य से हैं और यह किसी अन्य मंच के समक्ष याचिकाकर्ताओं के खिलाफ लंबित किसी अन्य कार्यवाही को बाध्य नहीं करेगी।”
No Comments: