उन्होंने कहा, “पहले तो भर्ती निकलना एक सपना है, भर्ती निकले तो पेपर लीक, पेपर हुआ तो रिजल्ट का पता नहीं और लंबे इंतजार के बाद रिजल्ट आने पर भी अक्सर ज्वॉइनिंग के लिये कोर्ट का चक्कर। सेना से लेकर रेलवे और शिक्षा से लेकर पुलिस तक की भर्तियों का सालों इंतज़ार कर लाखों छात्र की ओवर एज हो चुके हैं। निराशा के इस चक्रव्यूह में फंसा छात्र डिप्रेशन का शिकार होकर टूट रहा है और इन सब से व्यथित होकर जब वह अपनी मांगें लेकर सड़क पर निकले तो मिलती हैं पुलिस की लाठियां।” गाँधी ने कांग्रेस सरकार बनने पर सबको न्याय देने की बात करते हुए कहा, “एक छात्र के लिए नौकरी सिर्फ आय का साधन नहीं, बल्कि अपने परिवार का जीवन बदल देने का सपना है और इस सपने के टूटने के साथ पूरे परिवार की आस टूट जाती है। कांग्रेस की नीतियां युवाओं के सपनों के साथ न्याय करेंगी, हम उनकी तपस्या व्यर्थ नहीं जाने देंगे।”
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