संसद के शीतकालीन सत्र का आज छठा दिन है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस बाबत राज्यसभा में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम बिल को पेश कियाय़ बता दें कि लोकसभा में यह बिल पहले ही पारित हो चुका है। अमित शाह ने इस बिच को विचार और पारित करने के लिए राज्यसभा में पेश किया। बता दें कि पिछले सप्ताह जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 को लोकसभा में पारित किया जा चुका है। लोकसभा में जम्मू कश्मीर पर कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के हमलों का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा था कि कश्मीर में 45 हजार लोगों की मौत का जिम्मेदार अनुच्छेद 370 था, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उखाड़ फेंका।
वहीं सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने जाने केंद्र सरकार के 2019 के फैसले को सही ठहाराय। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने इस बाबत फैसला सुनाते हुए कहा कि आर्टिकल 370 (3) की शक्तियों के तहत राष्ट्रपति का फैसला सही था। इस पर सवाल खड़े करना ठीक नहीं है। चीफ जस्टिस ने कहा कि चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी। पीठ में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत शामिल हैं।
अनुच्छेद 370 के मामले पर सुनवाई के दौरान अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि 30 सितंबर 2024 तक जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव करवाए जाने चाहिए। साथ ही राज्य का दर्जा वापस देने का भी निर्देश दिया है। बता दें कि इस सुनवाई के दौरान तीन अहम फैसले लिए गए। अलग-अलग न्यायाधीशों द्वारा तीनों अलग-अलग फैसले दिए गए जिसका निष्कर्ष एक ही था। कोर्ट ने कहा कि केंद्र, राष्ट्रपति की भूमिका के तहत सरकार की शक्ति का इस्तेमाल कर सकता है। कोर्ट ने इस बाबत याचिकाकर्ताओं की दलील को खारिज कर दिया और कहा कि संसद या राष्ट्रपति उद्घोषणा के तहत किसी भी राज्य की विधायी शक्तियों का प्रयोग कर सकते हैं।
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