header advertisement

सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव और बालकृष्ण को पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामले में हाजिर होने का दिया आदेश

नई दिल्ली। एलोपैथिक दवा प्रभाव मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव और बालकृष्ण को तलब किया है। इस मामले पर आज सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया और बाबा रामदेव से पूछा क्यों न कोर्ट की अवमानना के तहत कार्रवाई की जाए। अदालत ने कहा पहली नजर में दोनों ने कानून का उल्लंघन किया है। इस मामले में अब अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी।

पिछली सुनवाई में शीर्ष अदालत ने पतंजलि आयुर्वेद और इसके प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण को नोटिस जारी करते हुए पूछा था कि अपने उत्पादों के विज्ञापन और उनकी औषधीय प्रभावकारिता के बारे में न्यायालय में दिए गए कंपनी के शपथपत्र का प्रथम दृष्टया उल्लंघन करने को लेकर उनके खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया था कि वह उस विज्ञापन पर पतंजलि के खिलाफ उठाए गए कदमों पर अदालत को स्पष्टीकरण दे, जिसमें मधुमेह, बीपी, थायराइड, अस्थमा, ग्लूकोमा और गठिया आदि जैसी बीमारियों से “स्थायी राहत, इलाज और उन्मूलन” का दावा किया गया था।

इस साल फरवरी में सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने पतंजलि आयुर्वेद को रोगों के उपचार के लिए अपने उत्पादों का विज्ञापन करने से अगले आदेश तक रोकते हुए कहा था कि ‘‘पूरे देश के साथ छल किया गया है।’ न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति ए। अमानुल्लाह की पीठ ने पतंजलि आयुर्वेद और इसके अधिकारियों को उपचार की किसी भी पद्धति के खिलाफ प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में किसी भी तरह का कोई बयान देने के खिलाफ आगाह भी किया था।

29 नवंबर 2023 को पतंजलि आयुर्वेद के विज्ञापनों पर आपत्ति जताने वाली इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई थी। पतंजलि और रामदेव के बयानों और विज्ञापनों में एलोपैथी और उसकी दवाओं व टीकाकरण के विज्ञापनों के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्र की पीठ ने पतंजलि द्वारा एलोपैथ को लेकर भ्रामक दावे और विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए पतंजलि को फटकार लगाई थी।

No Comments:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

sidebar advertisement

National News

Politics