नवीन गौतम , नई दिल्ली
दिल्ली में दम घोंटू प्रदूषण से निपटने के लिए लगाई गई अधिकांश स्मोक गन सफेद हाथी ही साबित हुई है। अधिकांश स्थानों पर सहूलियत से ज्यादा मुसीबत ही बन गई है। प्रदूषण का कहर बढ़ा तो सरकार के स्तर पर 13 हॉट स्पॉट चिन्हित कर यहां के लिए कोआर्डिनेशन कमिटी बना दी गयी है। इन 13 जगहों पर 80 स्मोक गन लगाने की एक बार फिर बात होने लगी और बात होने लगी ड्रोन से निगरानी की।
मगर अब दिल्ली नगर निगम की स्थाई समिति के पूर्व उपाध्यक्ष विजेेन्द्र यादव ने उपराज्यपाल को पत्र लिख इन सब पर सवाल उठाते है दिल्ली सरकार से मांग की है कि पहले लगाई गई स्मोक गन का क्या नतीजा आया इसकी रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए। इसके विपरीत कई स्थानों पर लगी स्मोकगन आज भी बंद पड़ी है।
मुंडका में डीएमआरसी के आवासीय फ्लैट हैं और ये इमारते करीब 8-10 मंजिला हैं इनकी छत पर 2 स्मोकगन लगी है। इन स्मोक गन का क्या असर है इन सभी बातों की कोई अधिकारिक रिपोर्ट नहीं है।
इसके विपरीत जब वह चलती है तो इतना शोर करती हैं ध्वनि प्रदूषण बढ़ जाता है। सौ मीटर दूर खड़े होने पर भी दो लोग आपस में बात नहीं कर सकते हैं ,जो वहां उनकी छत के नीचे रह रहे हैं उनका क्या हाल होगा । दूसरा मान लो स्मोक गन ने छत से 100 लीटर पानी नीचे गिराया तो उस 100 लीटर पानी में कितना पानी नीचे पहुंचा और कितना पानी भांप बनकर उड़ जाता है इसकी भी कोई रिपोर्ट नहीं है ।
इसी प्रकार दिल्ली कनॉट प्लेस के स्मोक टावर को लेकर बड़े गाजे बाजे के साथ ढोल पीटे गए थे। मेंटेंनेस पर पैसे दबाकर फूके गए मगर आज वह भी बंद पड़ा है ।
इसी प्रकार स्मोकगन लगी है मधुबन चौक डीडीए ऑफिस की छत पर, सिविक सेंटर की छत पर भी। मगर इनका कितना लाभ हुआ इसकी कोई आधिकारिक रिपोर्ट आज तक जारी नहीं हुई।
अब सरकार प्रदूषण पर निगरानी ड्रोन से करने का ऐलान कर रही है लेकिन इस पर भी सवाल यह उठ रहा है कि पोलुशन यह ड्रोन से देखेंगे जो सबको जमीन से साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा है। जो महज सरकारी पैसे की बर्बादी के सिवाय कुछ नहीं है। स्मोक गन की कार्य प्रणाली को लेकर भी अक्सर सवाल खड़े हैं।
जो हाई पावर कमेटी के मिनट्स है उसमे साफ़ दर्ज़ है कि जो स्मोक गन की स्पेसिगीसन है वह 25 मीटर तक पानी फेंकने की है और जब वह 25 मीटर तक पानी फेंकेगी तो शोर इतना करेगी की वह आपसे संभलेगा नहीं और अगर मशीन शोर नहीं कर रही है तो वह बिलो स्पेसिगीसन काम कर रही है। बिलो स्पेसिगीसन का अर्थ है कि उसे भुगतान किया जा रहा है दस रूपए के काम से और वह काम कर रही है 2 रूपये का।
शोर भी तो साउंड पोलुशन है एयर पोलुशन को कंट्रोल करने के लिए साउंड पोलुशन को बढ़ा दो । अगर मशीन दस की जगह छह घंटे भी चल रही है तो छह घंटे भी किसी भी इंसान को बहरा बनाने के लिए बहुत ज्यादा है।
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