लद्दाख के लिए विशेष दर्जे की मांग को लेकर लेह से दिल्ली तक का पदयात्रा कर रहे शिक्षाविद और जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक अनशन पर बैठ गए हैं। लेह से चलकर दिल्ली पहुंचे एक्टिविस्ट वांगचुक और उनके करीब डेढ़ सौ साथियों को दिल्ली पुलिस ने सोमवार की रात सिंघु बॉर्डर पर हिरासत में ले लिया था। इन लोगों को अलग-अलग थानों में रखा गया है। सूत्रों की माने तो सोनम वांगचुक और उनके करीब 30 साथियों को बवाना पुलिस स्टेशन में हिरासत में रखा गया है। सिंघु बॉर्डर पर लद्दाख के सांसद हाजी हनीफ को उनके समर्थकों के साथ पुलिस ने हिरासत मे ले लिया है।
सूत्र बताते हैं कि सोनम वांगचुक और उनके साथी थाने के अंदर ही अनशन पर बैठ गए हैं। थाने के बाहर फोर्स को तैनात कर दिया गया है। संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य सत्येंद्र का कहना है कि वह बवाना थाने के अंदर सोनम वांगचुक से मिलकर आए हैं। वह स्वस्थ हैं और सभी अनशन पर बैठे हैं।
इस मामले पर राजनीति भी हो रही है। राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल ने सोनम वांगचुक को हिरासत में लिए जाने पर सरकार पर तीखे वार किया है। राहुल गांधी ने अपने एक्स पर पोस्ट किया है कि सोनम वांगचुक जी और पर्यावरण और संवैधानिक अधिकारों के लिए शांतिपूर्ण मार्च कर रहे सैकड़ों लद्दाखियों को हिरासत में लेना अस्वीकार है।लद्दाख के भविष्य के लिए खड़े होने वाले बुजुर्गों को दिल्ली की सीमा पर क्यों हिरासत में लिया जा रहा है? मोदी जी, किसानों की तरह यह चक्रव्यूह भी टूटेगा।
दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा कि सोनम वांगचुक और हमारे 150 लद्दाखी भाई-बहन शांतिपूर्ण तरीक़े से दिल्ली आ रहे थे। उनको पुलिस ने रोक लिया है। कल रात से बवाना थाने में क़ैद हैं। क्या लद्दाख के लोकतांत्रिक अधिकार माँगना ग़लत है? क्या 2 अक्तूबर को सत्याग्रहियों का गांधी समाधि जाना ग़लत है? सोनम वांगचुक जी को रोकना तानाशाही है। आज दोपहर 1 बजे मैं उनसे मिलने बवाना थाने जाऊँगी।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि लद्दाख से दिल्ली तक पैदल मार्च कर शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखने आ रहे सोनम वांगचुक व अन्य लोगों को दिल्ली पुलिस ने डिटेन कर लिया है यह सब गैरकानूनी और असंवैधानिक है हम आजाद देश के लोग हैं और हमें अपनी बात रखने का अधिकार है हम सभी लोग उनके साथ हैं।
वांगचुक और अन्य एक्टिविस्ट लेह से नई दिल्ली तक पैदल मार्च पर निकले थे ताकि केंद्र सरकार से लद्दाख के नेतृत्व के साथ उनकी मांगो के संबंध में बातचीत फिर से शुरू करने का आग्रह किया जा सके। उनकी प्रमुख मांगों में एक यह है कि लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाए और लद्दाख में एक और संसदीय सीट को बढ़ाना , शासन में सरकारी नौकरियों और भूमि अधिकारों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व की मांग आदि शामिल है। जिससे स्थानीय लोगों को अपनी भूमि और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा के लिए कानून बनाने की शक्ति मिल सके। इनको लेकर लद्दाख के लोग 2019 से ही धरना प्रदर्शन कर रहे हैं ।वांगचुक और लगभग 75 स्वयंसेवकों ने 1 सितंबर को लेह से अपना पैदल मार्च शुरू किया था। वह इससे पहले मार्च में 21 दिन का भूख हड़ताल भी का कर चुके है।
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