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रामनवमी के दिन रामलला का होगा सूर्य तिलक, 4 मिनट तक दिखने के लिए वैज्ञानिक तैयारी में जुटे

नई दिल्ली। अयोध्या में रामनवमी को खास बनाने के लिए तैयारियां तेज हो गई हैं। इसे ऐतिहासिक बनाने के ​लिए सूर्य तिलक का सहारा लिया जा रहा है। इसे लेकर राम मंदिर ट्रस्ट भी तैयारियों में जुटा हुआ है। आपको बता दें कि मंगलवार को पूरे देश में चैत्र नवरात्र की शुरुआत हो रही है। 17 अप्रैल को रामनवमी का पर्व है। इस बार अयोध्या में रामलला भव्य मंदिर में विराजमान हो चुके हैं। ऐसे में पहली रामनवमी बेहद खास होने वाली है। यहां पर दोपहर ठीक 12:00 बजे सूर्य की किरणों से प्रभु राम का अभिषेक होगा यानी कि सूर्य तिलक किया जाएगा। इस सूर्य तिलक की अवधी करीब 4 मिनट तक की होने वाली है।

 

ये रामलला की आभा को बढ़ाएगी। इतना ही नहीं इसको लेकर राम मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने बीते दिनों चेन्नई में देश के वैज्ञानिकों के साथ एक बैठक में भाग लिया। इसके बाद अब तेजी के साथ राम मंदिर परिसर में इसका कार्य आरंभ हो गया है। आगामी रामनवमी को प्रभु राम के मस्तिष्क पर सूर्य की किरणें पड़ें, इसे लेकर खास उपकरण लगाए गए हैं।

 

500 साल के बाद अयोध्या में प्रभु राम का भव्य जन्मोत्सव होगा। 12:00 बजे सूर्य देव रामलला के मस्तिष्क पर अभिषेक करेंगे। ये करीब 75 मिमी का होगा। इसके लिए वैज्ञानिकों की एक टीम जुट गई है। इसका ट्रायल भी जल्द होगा। प्रभु श्री राम सूर्यवंशी माने जाते हैं। जब उनके भव्य मंदिर का निर्माण आरंभ हुआ था, उस समय यह प्रस्ताव रखा गया था कि इस तरह का कोई प्रबंध होना चाहिए ताकि रामनवमी वाले दिन दोपहर 12:00 सूर्य की किरणें सीधे उनके ललाट पर पड़े। इसके लिए​ रुड़की की एक टीम रिसर्च में जुटी हुई है।

 

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कार्यालय के प्रभारी प्रकाश गुप्ता के अनुसार, जब मंदिर का निर्माण कार्य आरंभ हो रहा था तो उस दौरान यह तय किया गया था कि विराजमान होने के बाद आने वाली पहली रामनवमी के दिन प्रभु राम के ललाट पर सूर्य तिलक होगा। यह सूर्य तिलक दोपहर 12:00 बजे होगा। उसके लिए उपकरण से सूर्य का तिलक किया जाएगा। गुप्ता के अनुसार, 4 मिनट तक प्रभु राम के ललाट पर सूर्य का तिलक रहेगा। इसे लेकर वैज्ञानिकों ने तैयारी तेज कर दी है। अब जल्द इसका ट्रायल होगा।

 

आपको बता दें कि यह सूर्य तिलक मात्र रामनवमी वाले दिन होगी। इसके लिए वैज्ञानिक फिजिक्स के ऑप्टोमैकेनिकल सिस्टम का उपयोग कर रहे हैं। सूर्य की रोशनी तीसरे फ्लोर पर पहले एक दर्पण पर टकराएगी, इसके बाद तीन लेंस व दो अन्य मिरर के सहारे सीधे ग्राउंड फ्लोर पर आएगी। इस तरह से रामलला की प्रतिमा के ललाट पर सूर्य किरणों का एक तिलक लगेगा।

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