शरीर का मोटापा किडनी पर बोझ बढ़ा रहा है। इसके किडनी की कार्य क्षमता प्रभवित होती है। लंबे समय तक यह स्थिति व्यक्ति को किडनी का गंभीर रोगी बना सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि खराब जीवन शैली के साथ खानपान में आए बदलाव से दिल्ली-एनसीआर में मोटापे की समस्या तेजी से बढ़ी है। यही कारण है कि दिल्ली के सरकारी और निजी अस्पतालों में आ रहे मरीजों के विश्लेषण में रोग का बढ़ा कारण मोटापा भी दिख रहा है।
डॉक्टरों का कहना है कि मोटापा किडनी की बीमारियों के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक है। यह किडनी की कार्यप्रणाली को कमजोर करता है। मोटापे के कारण किडनी को ज्यादा रक्त स्वच्छ करना पड़ता है। साथ ही मोटापे की वजह से होने वाली सूजन किडनी के ऊतकों को भी नुकसान पहुंचाती है। इसके अलावा मोटापे के कारण किडनी में सूजन, किडनी स्टोन सहित दूसरी समस्याएं भी देखी गई है।
मोटापे के कारण मधुमेह, उच्च रक्तचाप सहित दूसरी समस्याएं भी होती है। नेफ्रोलॉजी विभाग के डॉक्टर डॉ. मनोज के. सिंघल का कहना है कि क्रोनिक किडनी डिजीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। मधुमेह, उच्च रक्तचाप के मरीज में होने का जोखिम सबसे ज्यादा है। इसके अलावा शराब के सेवन से किडनी कैंसर का जोखिम बढ़ता है।
इलाज के लिए उपलब्ध हैं नई दवाएं
सफदरजंग अस्पताल में नेफ्रोलॉजी विभाग प्रमुख डॉ. हिमांशु वर्मा ने बताया कि गंभीर किडनी रोग के इलाज के लिए नई दवाएं भी उपलब्ध हो गई है। मधुमेह किडनी रोग (डीकेडी) एक गंभीर स्थिति है। यह मधुमेह के रोगी में होने की आशंका ज्यादा होती है। यह तब होता है जब उच्च रक्त शर्करा का स्तर समय के साथ किडनी को नुकसान पहुंचाता है। इससे किडनी के लिए रक्त से अपशिष्ट को फिल्टर करना कठिन हो जाता है। दुनिया भर में मुधमेह के रोगी बढ़ रहे हैं। ऐसे में यह रोग भी स्वास्थ्य समस्या बनती जा रही है। इसके कारण किडनी की विफलता, हृदय संबंधी बीमारी बढ़ती है। कई बार मरीज की मौत तक हो जाती है।
किडनी रोग के कई लक्षण
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